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प्रादेशिक

झाबुआ उपचुनाव में भाजपा ने झोंकी ताकत

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भोपाल। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मध्य प्रदेश के झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई की नींद उड़ी हुई है और यही कारण है कि भाजपा ने उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक दिन में छह-छह सभाएं कर रहे हैं।

भाजपा के सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद रिक्त हुए झाबुआ संसदीय क्षेत्र में 21 नवंबर को उप-चुनाव होने जा रहा है। भाजपा ने इस चुनाव के लिए दिलीप सिंह की बेटी निर्मला भूरिया को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया चुनाव मैदान में हैं।

जनता दल (युनाइटेड) के उम्मीदवार विजय हारी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। जद (यू) के उम्मीदवार को वामपंथी दलों सहित अन्य दलों का समर्थन हासिल है। यहां मुकाबला कुल मिलाकर त्रिकोणीय हो गया है। अभी हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है, इसके चलते राज्य की भाजपा इकाई उपचुनाव को लेकर कहीं ज्यादा सतर्क है और इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाए हुए है। नेहरू युवा केंद्र के उपाध्यक्ष वी.डी. शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के अलावा राज्य सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह कैम्प किए हुए हैं, वरिष्ठ नेताओं के दौरे जारी हैं, वहीं मुख्यमंत्री चौहान की हर रोज धुआंधार सभाएं हो रही हैं।

मुख्यमंत्री चौहान लगातार सभाओं में न केवल अपनी सरकार की खूबियां गिना रहे हैं तो वहीं भरोसा दिला रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस इलाके की तस्वीर बदलने में सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी, वहीं वे कांग्रेस को गरीब, किसान और आदिवासी विरोधी बताने से नहीं चूक रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार भारत शर्मा का कहना है, “बिहार चुनाव के नतीजों ने भाजपा को डरा दिया है, वहीं यह उप चुनाव शिवराज के लिए भी चुनौती है, पहले दिल्ली और फिर बिहार का चुनाव हारने से संदेश जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फेल हो रहे हैं। ऐसे में झाबुआ का उपचुनाव जीतने पर शिवराज अपनी दक्षता का प्रमाण दे सकते हैं। यही कारण है कि उन्होंने पूरा जोर लगा दिया है। इस चुनाव की जीत से उन्हें राजनीतिक फायदा मिल सकता है।”

एक तरफ जहां भाजपा पूरा जोर लगाए हुए है तो दूसरी ओर कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी झाबुआ आने का कार्यक्रम है। जद (यू) के समर्थित उम्मीदवार को वामपंथी दलों के अलावा क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिला है। पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में शरद यादव व सुभाषिनी अली सभा करने आ रहे हैं।

कुल मिलाकर झाबुआ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव भाजपा और खासकर शिवराज सिंह चौहान के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस चुनाव के नतीजे कई नेताओं का भविष्य तय कर सकते हैं।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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