Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

भोपाल में बढ़ रहा दूषित भूजल का दायरा

Published

on

Loading

संदीप पौराणिक 

भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी में 31 साल पहले हुई भीषण गैस त्रासदी के बाद से यूनियन कार्बाइड संयंत्र के आसपास जमा जहरीले कचरे के कारण भूजल प्रदूषित हो रहा है और इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। अब तो प्रदूषण संयंत्र के चार किलोमीटर के दायरे में लगभग 240 फुट की गहराई तक पहुंच गया है।

भोपाल में यूनियन कार्बाइड ने 1969 में कीटनाशक कारखाना स्थापित किया था। इस संयंत्र से दो दिसंबर 1984 की रात रिसी मिथाइल आइसो साइनाइड गैस ने तीन हजार से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। इस हादसे के बाद से संयंत्र बंद पड़ा है। यहां जहरीला कचरा जमा है जो पानी के साथ लगातार गहराई में तो पहुंच ही रहा है, साथ ही इसका दायरा भी बढ़ता जा रहा है।

भारतीय विष विज्ञान शोध संस्थान (आईआईटीआर लखनऊ) ने यहां की 22 बस्तियों के भूजल नमूने लेकर जांच की थी और एक रिपोर्ट 2013 में जारी की, जिसमें कहा गया है कि इन क्षेत्रों का भूजल कीटनाशक कारखाने के जहरीले कचरे की वजह से प्रदूषित हो चुका है। इस जांच में पानी में ऐसे रसायन पाए गए, जिनसे गुर्दे, लीवर, फेफड़े और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन और भारी धातु हैं, जिनसे कैंसर तथा जन्मजात विकृतियां होती हैं।

आईआईटीआर की रिपोर्ट के बाद इस वर्ष जनवरी से मार्च के बीच संभावना ट्रस्ट ने 20 से ज्यादा स्थानों से 100 से 240 फुट की गहराई तक के हैंडपंप (वोरबेल) के पानी के नमूने लिए। इन नमूनों को जांच के लिए राज्य सरकार की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की प्रयोगशाला को भेजा।

संभावना ट्रस्ट की रचना ढींगरा ने आईएएनएस को बताया कि जांच के लिए पानी के जो नमूने लिए गए थे, वे संयंत्र से चार किलोमीटर की दूरी और 240 फुट की गहराई तक के थे। इन नमूनों में रासायनिक तत्व पाए गए हैं। पानी में केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) 40 मिली ग्राम प्रति लिटर से कम होना चाहिए, मगर जांच में 12 नमूनों में इससे ज्यादा मात्रा पाई गई है, एक स्थान पर तो सीओडी 100 मिली ग्राम प्रति लीटर पाया गया है।

नमूने एकत्र कर जांच कराने वाले विकास त्रिपाठी का कहना है कि बेलिस्टीन परीक्षण में भी यह बात पाई गई है कि भूजल मंे आर्गेनोक्लोरीन है, जो मानव शरीर के लिए घातक है।

ज्ञात हो कि दो दिसंबर, 1984 की रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी मिथाइल आइसो साइनाइड (मिक) गैस ने हजारों परिवारों की खुशियां छीन ली थीं। इस हादसे के बाद से यह संयंत्र बंद पड़ा है और इसके परिसर में अनुमान के मुताबिक 18 हजार टन से ज्यादा रासायनिक कचरा जमा है।

गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले सतीनाथ षडंगी बताते हैं कि इस कीटनाशक कारखाने की शुरुआत के समय परिसर में घातक कचरे को डालने के लिए 21 गड्ढे बनाए गए थे। 1969 से 77 तक इन्हीं गड्ढों में घातक कचरा डाला गया। कचरे की मात्रा में इजाफा होने पर 32 एकड़ क्षेत्र में एक सौर वाष्पीकरण तालाब (सोलर इवापरेशन पॉड) बनाया गया।

उन्होंने कहा कि इस तालाब में घातक रसायन जाता था, जिसका पानी तो उड़ जाता था मगर रसायन नीचे जमा हो जाता था। इसके बाद दो और सौर वाष्पीकरण तालाब बनाए गए। हादसे के बाद सौर वाष्पीकरण के दो तालाबों का रासायनिक कचरा 1996 में तीसरे तालाब में डालकर उसे मिट्टी से ढक दिया गया। यह कचरा 18 हजार टन से कहीं ज्यादा है। यही कचरा भूजल और मिट्टी को लगातार प्रदूषित किए जा रहा है।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending