नेशनल
भोपाल गैस त्रासदी : अब भी डरा देती है उस रात की हलचल
भोपाल। मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल के पुतलीघर इलाके की रईसा बी (55) को रात के समय होने वाली कोई भी हलचल डरा जाती है और अब से 31 वर्ष पहले की एक रात की याद ताजा हो जाती है, जब लोग बदहवास भागे जा रहे थे। हर तरफ चीत्कार सुनाई दे रही थी। एक तरफ जहां सड़कों पर लोग बेहोश पड़े थे, तो कई स्थानों पर शव भी नजर आ रहे थे।
यूनियन कार्बाइड संयंत्र से दो दिसंबर,1984 की रात को रिसी जहरीली गैस ने तीन हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था, वहीं हजारों लेागों को बीमारियां देकर तिलतिल करके मरने को छोड़ दिया। आज भी हजारों लोग जहरीली गैस से मिली बीमारियां ढोए जा रहे हैं और अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं।
पुतलीघर की रईसा बी कहती हैं कि परिवार के सदस्य बाहर के कमरे में और वे भीतरी कमरे में सो रहे थे। रात को सोते समय ऐसे लगा जैसे किसी ने मिर्ची छोड़ दी हो, किसी को खांसी आ रही थी तो किसी को आंखों में जलन होने लगी थी, कुछ देर बाद ऐसा लगा जैसे सड़कों पर सैकड़ों लोग भागे जा रहे हों, आवाजें डरा देने वाली थी। उनके घर के पीछे कुछ खुला हिस्सा था लिहाजा उन्होने वहां पहुंचकर अपने को जलन और खांसी को कम किया।
वे बताती हैं कि देर रात से लोगों के घर छोड़कर भागने का शुरू हुआ सिलसिला सुबह तक चलता रहा, कोई पैदल भागे जा रहा था, तो किसी ने बैलगाड़ी का सहारा लिया। अस्पताल में इलाज करने वालों की भारी भीड़ थी तो शवों का अंबार लगा हुआ था। इतना ही नहीं हाथ ठेलों पर शवों को ढोया जा रहा था।
कारखाने के आसपास के इलाके की बस्तियों आज भी अपनी बर्बादी की कहानी कहती है। बुजुर्गों की कराह, अपंग बच्चे और जमीन में घिसट कर चलने की लाचारी हर बस्ती का हिस्सा बन गई है। एक तरफ उन्हें इलाज नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर जो मुआवजा मिला है, वह उनके जख्मों पर नमक डालने जैसा है।
संयंत्र के सामने की तरफ है जेपी नगर, और इसी इलाके में सबसे ज्यादा लोगों को नुकसान हुआ था। इसी बस्ती में रहने वाली हाजरा बताती है कि हादसे की रात का मंजर आज भी उनकी आंखों के सामने आ जाता है तो उस रात उन्हें नींद नहीं आती है। वे बताती हैं हादसे की रात अपने एक बेटे को घर में सोता हुआ छोड़कर एक अन्य बेटे और पति के साथ जान बचाने भागी थी, कुछ देर बाद जब उन्हें बेटे की याद आई तो वापस घर में आकर देखा तो वह बेहोश पड़ा था।
इस्लामपुर के वसीम अहमद हादसे की रात को याद कर अब भी डर जाते है, वे बताते हैं कि रात के समय अपनी दुकान पर थे उसी समय लिली सिनेमा घर से फिल्म का शो छूटा था। वहीं ठंड होने के साथ शादी समारोह चल रहा था। इसी दौरान उनकी आंखों में जलन हो रही थी, तब उन्हें लगा कि शादी समारोह में बन रही सब्जी में ज्यादा मिर्ची का छौंक लगा दिया, मगर यह जलन बढ़ती गई।
वसीम बताते हैं कि जब वे देर रात को शाहजहांनी पार्क पहुंचे तो वहां शव बिखरे पड़े थे, वहीं कई लोग अपनी जान बचाने की जद्दोजहद में लगे थे, किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। कुछ लोग रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड की तरफ भागे जा रहे थे। उनके एक परिचित नशे में थे, और गैस से हुई जलन से उन्हें भी लग गया कि कुछ गड़बड़ है और वे ट्रेन से लटक कर होशंगाबाद चले गए थे।
इस हादसे के शिकार बने लोग बताते हैं कि तीन दिसंबर को हंसता खेलता भोपाल मातम में बदल गया था, कहीं जनाजे निकल रहे थे तो कहीं अर्थियां निकल रही थी। दफनाने से लेकर अंतिम संस्कार का क्रम कई दिनों तक चलता रहा, और हाल यह हुआ कि अंतिम संस्कार के लिए जगह भी कम पड़ गई थी।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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