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प्रादेशिक

बुंदेली कला विधाओं का महासंगम 26 दिसंबर को

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झांसी। झांसी जन महोत्सव का आयोजन इस बार 26 दिसंबर को होगा। इसमें बुंदेली वाद्य यंत्र, लोकगीत, लोकनृत्य तो होंगे ही, हाथी, घोड़े और उन पर पारंपरिक परिधान में बैठे सवार भी देखने को मिलेंगे। झांसी जन महोत्सव का उद्देश्य प्रमुख रूप से बुंदेली कला विधाओं को बढ़ावा देना और उनके संदेश एवं जानकारियों को जन-जन तक पहुंचाना है। झांसी जन महोत्सव के मुख्य संयोजक राजीव राय ने बुंदेली कार्यक्रमों के लिए पूर्व मंत्री हरगोविंद कुशवाहा को संयोजक नियुक्त किया है।

कुशवाहा ने बताया कि 26 दिसंबर को पूरे नगर में एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें बुंदेली विधाओं की सभी झांकियां व नृत्य बुंदेली कलाकारों द्वारा किए जाएंगे। वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई व महोबा के वीर आल्हा-ऊदल और मर्दन सिंह जैसे वीरों की झांकियां भी इस शोभायात्रा में नजर आएंगी।

उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड के प्रमुख कार्यक्रमों और नृत्यों के लिए मुक्ताकाशी मंच पर सबसे पहले स्थानीय कलाकारों को मंच दिया जाएगा। शाम 6 से 8 बजे तक मुक्ताकाशी मंच पर केवल बुंदेलखंड के कलाकार ही अपनी प्रतिभाओं का मंचन व प्रदर्शन करेंगे।

कुशवाहा ने बताया कि झांसी जन महोत्सव में राई, सेरा, लमटेरा, सुआटा, ठिरिया, मामूलिया, जुगिया, राउला, ख्याल, कछियाई, ढिमरयाई, धुबयाई, मौनिया, चाचर आदि बुंदेली विधाओं का अपूर्व संगम देखने को मिलेगा। इसके अलावा एक दिन बुंदेलखंड के भांडों द्वारा की जाने वाली नौटंकी और कोंच की प्रसिद्ध रामलीला भी आयोजित की जाएगी।

संयोजक ने बताया कि झांसी जन महोत्सव में हर संभव प्रयास किया जाएगा कि संपर्क करने वाले प्रत्येक बुंदेली विधा के धनी को मंच उपलब्ध कराया जा सके, ताकि उसकी प्रतिभा और उससे मिलने वाले संदेश से सभी परिचित हो सकें।

हरगोविंद कुशवाहा स्वयं भी बुंदेलखंड की कई विधाओं के धनी जानकार हैं और अभी तक झांसी महोत्सव व अन्य जितने भी कार्यक्रम यहां हुए हैं, उन सभी में मंच साझा कर चुके हैं।

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