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नेशनल

‘असहिष्णुता पर पाकिस्तान से सबक ले भारत’

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पणजी| वृत्तचित्र निर्देशक हेमल त्रिवेदी का कहना है कि अगर असहिष्णुता को नहीं रोका गया और उग्र दक्षिणपंथी तत्वों को अराजकता फैलाने की छूट दी गई तो उसका क्या नतीजा हो सकता है, यह जानने के लिए हमें पाकिस्तान की तरफ देखना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि हेमल ने ‘अमंग द बीलिवर्स’ नाम की फिल्म (वृत्तचित्र) बनाई है, जिसकी ज्यादातर शूटिंग गुप्त रूप से पाकिस्तान में की गई है। यह फिल्म रूढ़िवादियों की सख्त आलोचना करती है।

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान त्रिवेदी मुस्लिम बनकर पाकिस्तानी निर्देशक मोहम्मद अली नकवी के साथ पाकिस्तान के कई मदरसों में गईं और आम पाकिस्तानी नागरिकों के आदर-सत्कार का अनुभव किया।

इसके बाद पिछले कुछ महीनों से वह दुनिया भर में इस फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में घूम रही हैं। उनका कहना है कि इस पूरे अनुभव के दौरान उन्होंने एक ही सबक सीखा है कि अगर सरकार असहिष्णुता को किसी भी रूप में बढ़ावा देती है तो इसका एक ही परिणाम हो सकता है और वह है गृहयुद्ध।

गोवा में 46वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान त्रिवेदी की इस फिल्म की काफी चर्चा हुई।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, “हर समाज का एक छोटा सा हिस्सा होता है जो यह मानता है कि जीवन जीने का उसका तरीका ही सबसे अच्छा तरीका है और जो उसकी तरह नहीं रहता उसे जान से मार देना चाहिए। लेकिन, यह लोगों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि ऐसे तत्व शक्तिशाली न हों। जिस दिन ऐसा हो गया और अगर इन तत्वों की ताकत बढ़ गई तो वे गृहयुद्ध की स्थिति पैदा कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “यह फिल्म ‘अमंग द बीलिवर्स’ दो पाकिस्तानी किशोरों की कहानी है जो इस्लामाबाद स्थित लाल मस्जिद द्वारा चलाए गए मदरसे में रहते हैं। यह मदरसा आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के समर्थक और तालिबान के सहयोगी धर्मगुरु अब्दुल अजीज गाजी द्वारा संचालित है। गाजी देश में शरीयत लागू करने के लिए अपनी सरकार के खिलाफ जेहाद छेड़े हुए हैं। उन्हें लगता है कि शरीयत कानून पाकिस्तान के लिए बेहतर है, दुनिया के लिए आदर्श है।”

त्रिवेदी ने कहा, “यह फिल्म दिखाती है कि कट्टरपंथियों का एक छोटा सा तबका किस प्रकार शांतिपूर्ण समाज के बहुसंख्यक तबके को प्रभावित करता है और किस तरह आम पाकिस्तानी ही आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार बनता है। हालांकि, इस फिल्म को अभी तक पाकिस्तान में प्रदर्शित नहीं किया गया है, लेकिन यह दुनिया भर में बसे पाकिस्तानियों के दिल को छू रही है क्योंकि यह उन्हें आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार बताती है।”

उन्होंने पाकिस्तान में शूटिंग के अपने अनुभव के बारे में बताया। हेमल ने कहा कि उन्होंने दुबई की हेना खान का भेष धारण किया और पाकिस्तान के मदरसों का जायजा लिया।

उन्होंने बताया कि लाल मस्जिद स्थित मदरसे की शूटिंग की जिम्मेदारी पाकिस्तान के निर्देशक मोहम्मद नकवी ने उठाई। कुछ ही दिन में नकवी को धमकियां मिलने लगीं। उन्होंने कहा कि अजीज के साथ शूटिंग करना बेहद-बेहद चुनौतीपूर्ण था।

हेमल आम पाकिस्तानियों की मेहमाननवाजी की भी इस दौरान मुरीद हो गईं।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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