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प्रादेशिक

बिहार : बच्चे पापा को दिलाएंगे शराब छोड़ने की शपथ

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बिहार, बच्चे पापा को दिलाएंगे शराब छोड़ने की शपथ

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मनोज पाठक

पटना| बिहार में शराबबंदी अभियान को सफल बनाने के लिए राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे अपने-अपने पिता को शराब छोड़ने की शपथ दिलाएंगे। इसके लिए बच्चे अपने पिता से एक संकल्पपत्र भरवाएंगे। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन ने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने को लेकर बिहार में शराबबंदी करने का जो वादा किया था, उस वादे को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी की घोषणा की है। शराबबंदी को राज्य में सफल बनाने के लिए राज्य सरकार जहां जनजागरूकता अभियान चलाएगी, वहीं सांस्कृति जागरूकता अभियान और कला जत्था द्वारा भी लोगों को शराब से बचने की मुहिम चलाएगी। इसके तहत सभी सरकारी विद्यालयों के बच्चे अपने-अपने पिता से संकल्पपत्र भरवाएंगे। राज्य के मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने बताया कि शराबबंदी को लेकर जागरूकता अभियान कार्यक्रम की पहुंच सभी पंचायतों से लेकर गांवों के घरों के दरवाजे तक होगी।

उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूल के बच्चे अपने-अपने पिता को शराब छोड़ने का संकल्पपत्र भरवाकर अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पास जमा कराएंगे। राज्य के करीब 77 हजार प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में यह संकल्पपत्र उपलब्ध होगा। मस्तान कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस अभियान को एक सामाजिक आंदोलन बनाना चाहते हैं। शराबबंदी को लेकर 26 जनवरी से जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा। मस्तान ने बताया कि पहले चरण में देसी और मसालेदार शराब की बिक्री बंद होगी। इस समय ऐसी दुकानों की संख्या करीब 6000 है। मद्य निषेध विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि जनजागरूकता अभियान तीन चरणों में चलाया जाएगा। अधिकारी कहते हैं कि शराबबंदी को लेकर समाज कल्याण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा विभाग समेत कई विभाग मिलकर काम करेंगे, जबकि इस अभियान की मॉनीटरिंग मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति करेगी। शराबबंदी को लेकर राज्य के सभी गांवों और टोलों में शराब के दुष्प्रभाव से जुड़े 10-10 नारे लिखे जाएंगे तथा मुख्यमंत्री की अपील की 500 प्रतियां सभी ग्राम पंचायतों में बांटी जाएंगी।

राज्य के मद्य निषेध मंत्री कहते हैं कि ऐसे तो शराबबंदी एक अप्रैल से होगी परंतु उसके पूर्व इसके पक्ष में जनजागरूकता अभियान चलाकर अधिक से अधिक लोगों को उसमें जोड़ना सरकार की प्राथमिकता है। वैसे बिहार में शराबबंदी की मांग कई वर्षो से होती रही है। बिहार में महिलाएं, खासतौर पर दलित वर्ग की महिलाएं मुख्यमंत्री से यह शिकायत करती रही हैं कि शराब ने उनका घर बर्बाद कर दिया है, इसलिए राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाया जाए। लेकिन शराब से करीब 3,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का राजस्व कमाने वाली सरकार शराबबंदी को लेकर कभी प्रयास नहीं किए। पिछले साल बिहार में शराब की बिक्री से 3,300 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया गया, जो दूसरे करों की कमाई से सात-आठ सौ करोड़ रुपये ज्यादा था। इस साल सरकार का अनुमान है कि शराब से राजस्व प्राप्ति 4,000 करोड़ रुपये से ऊपर निकल जाएगी। जनता दल (युनाइटेड) के एक नेता कहते हैं कि सरकार अप्रैल तक सब कुछ ठोक-बजा कर ही शराबबंदी को लागू करने का इरादा बनाया है। माना जाता है कि सरकार ने हाल के दिनों में कई वस्तुओं पर नया कर लगाकर इस भरपाई को पूरा करने की कोशिश प्रारंभ कर दी है। बहरहाल, नीतीश सरकार के लिए शराबबंदी का वादा पूरा करना आसान नहीं है, मगर सरकार इस अभियान को सफल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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