प्रादेशिक
ओवैसी का नया नारा है ‘जय भीम-जय मीम’
लखनऊ। कट्टर मुस्लिम नेता की छवि के साथ-साथ एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी अब दलितों को भी साधने की जुगत में लग गए हैं, यही कारण है कि ‘जय भीम-जय मीम’ के नारे के साथ वह अपने मिशन यूपी की शुरुआत करने जा रहे हैं। ओवैसी इसकी शुरुआत फैजाबाद में बीकापुर उप चुनाव से करेंगे। मुसलमानों के साथ दलित वोटों में सेंध लगाने के लिए उन्होंने यह नारा दिया है। इस सीट से उन्होंने दलित प्रत्याशी को ही चुनाव मैदान में उतारा है। यूपी में उप चुनाव मार्च में होने हैं। इसमें एमआईएम एकमात्र फैजाबाद की सीट पर चुनाव लड़ रही है। यहां ओवैसी अपने प्रत्याशी प्रदीप कोरी के समर्थन में चार फरवरी को सभा करने जा रहे हैं। इस सभा की तैयारियों के लिए बीकापुर और आसपास कई पोस्टर लगाए गए हैं। कुछ ऐसे पोस्टर भी लगे थे जिन पर ‘जय भीम, जय मीम’ का नारा लिखा हुआ था। लोगों का कहना है कि तीन दिन पहले तक यह पोस्टर लगे थे लेकिन बाद में प्रशासन ने हटवा दिए।
पंचायत चुनाव में जीती थीं चार सीटें
ओवैसी की पार्टी का आंध्र प्रदेश में काफी प्रभाव है। मुस्लिम वोट बैंक को आधार मानकर पार्टी अब सभी राज्यों के चुनाव में प्रत्याशी उतार रही है। बिहार में भी पार्टी ने चुनाव लड़ा था। ओवैसी का अगला टारगेट यूपी का 2017 का विधान सभा चुनाव है। इसी को देखते हुए पार्टी ने पहले पंचायत चुनाव लड़ा। इसमें चार सीटें भी हासिल की थीं।
बीएसपी पर दबाव की रणनीति
ओवैसी की पार्टी इससे पहले महाराष्ट्र और बिहार सहित अन्य राज्यों में भी यही नारा दे चुकी है। कट्टर मुस्लिम चेहरा होने से मुसलमान वोटों को तो वह अपना आधार मानती ही है। इस नारे से कुछ दलित भी आ गए तो यह उसके लिए बोनस है। यूपी में यह नारा सबसे ज्यादा बीएसपी को नुकसान पहुंचाएगा। माना जा रहा है कि उपचुनाव में एक सीट पर प्रत्याशी उतारकर वह बीएसपी पर दबाव बनाना चाह रहे हैं। विधान सभा चुनाव में दोनों पार्टियों के गठबंधन की चर्चाएं भी हैं। सूत्रों का कहना है कि गठबंधन का दबाव बनाने के लिए भी यह ओवैसी की रणनीति हो सकती है। वहीं चर्चाएं ये भी हैं कि मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी और सपा का भी पीछे से समर्थन है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली का कहना है, ‘हमारी पार्टी ने ही ये पोस्टर लगवाए थे। ‘दलित-मुस्लिम एकता’ में हमारी पार्टी का विश्वास है। इसी को ध्यान में रखकर पार्टी ने यह नारा दिया है। उपचुनाव में अभी एक प्रत्याशी ही उतारा है। विधान सभा चुनाव 2017 में हम कई सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।’ वहीं बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘कोई भी पार्टी कुछ भी नारा दे सकती है। किसी भी प्रत्याशी को चुनाव में उतार सकती है। लेकिन दलित वोट कोई कूड़ा नहीं है कि जो भी चाहेगा वह ले जाएगा। बीएसपी से गठबंधन की बातें भी कोरी कल्पनाएं हैं।’
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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