प्रादेशिक
पर्यटक पौधे लगाकर यात्रा को बनाएं यादगार
डॉ. प्रणव पण्ड्या
हरिद्वार| भारत भर में कई तीर्थ व देवालय हैं, जहां देसी-विदेशी पर्यटकों व दर्शनार्थियों की भीड़ बाहर महीने लगी रहती है। इन यात्राओं में यात्री फोटोगाफी, वीडियो, शॉपिंग वगैरह से अपनी यात्रा को यादगार बनाने का भी प्रयास करते हैं। ये पर्यटक या तीर्थयात्री जहां जाएं, वहां एक पौधा लगाकर भी अपने गंतव्य को यादगार बना सकते हैं। तीर्थ नगरी हरिद्वार स्थित गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय ने इस यात्रा के यादगार को एक नई दिशा देते हुए एक अनोखी शुरुआत की है। यहां आने वाले यात्रियों से एक-एक पौधा लगाकर अपनी यात्रा की निशानी छोड़ जाने व अपने स्थानों में रोपने के लिए यहां से यादगार के रूप में पसंदीदा पौधे ले जाने का आग्रह किया जाता है। पौधरोपण से एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण को मदद मिलती है, वहीं यात्रा-पर्यटन के यादगारों का सार्थक योगदान भी हो जाता है। तीर्थयात्रा या पर्यटन में जहां-तहां के पसंदीदा दृश्य कैमरे में कैदकर या खुद का फोटो खिंचवाकर स्मृति संजोये चलने के साथ-साथ एक-एक पौधा भी यदि लगाते चला जाए तो यात्रा को सार्थक बनाने वाले बहुत ही बेहतर यादगार संजोये जा सकते हैं।
तीर्थयात्री यदि हर तीर्थस्थल में एक-एक तरु-रोपण कर धरती मां को हरी चूनर पहनाना शुरू कर दें तो आज जो समग्र विश्व में ग्लोबल वार्मिग का खतरा बढ़ता जा रहा है, उससे काफी हद तक निजात मिल सकती है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय या शांतिकुंज के दर्शनार्थ या शिविरों में आने वाले श्रद्धालु, प्रशिक्षुओं तथा वीआईपीओं को तीर्थयात्रा के यादगार के रूप में पौधे की प्रसादी देने का अनूठा प्रयोग वर्ष 2000 से निरंतर चल रहा है। शांतिकुंज या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आने वाले हर नवागंतुकों से एक-एक पौधा लगवाया जाता है। इस क्रम में जन साधारण से लेकर गणमान्य लोगों द्वारा भी पौधरोपण किए जा चुके हैं, जिनमें विश्व हिंदू परिषद के डॉ. अशोक सिंघल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरु महर्षि दयानंद जी, श्री श्री रविशंकर, वेंकट रमण, महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद जी सहित अनेक धार्मिक जगत के लोगों ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में पौधे लगाकर अपनी यादें संजोए हैं।
वर्ष 2004 में प्रथम दीक्षांत के समय तत्कालीन उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने भी पौधा लगाया गया था जो आज 10 फीट की ऊंचाई को छू रहा है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत के ही विभिन्न राज्यों से आए लोग धरती मां को हरी चादर ओढ़ा रहे हैं, बल्कि इसमें विदेशों के नागरिक भी शामिल हैं। जापान, अमेरिका, रूस, इटली सहित दुनियाभर से आए आगंतुकों ने भी देवभूमि में पौधे लगाकर अपनी यादों को संजोया है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय बनने से लेकर अब तक 51 से अधिक गणमान्य महानुभाव यहां अपनी यादों को सेजो चुके हैं तथा गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की याद में अब तक 1 करोड़ पौधे लगाकर उनके लालन पालन का कार्य परिजनों के नेतृत्व में किया जा रहा है। हरिद्वार आने वाले दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं को अब तक विभिन्न ‘तरु’ प्रसाद रूप में दिए जा चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो एक पेड़ को काटने से सीधा 45 लाख रुपये का नुकसान होता है। दरअसल, एक पेड़ अपने पचास साल के जीवन में हमें 45 लाख रुपये का लाभ पहुंचाता है। इमारतों के लिए लकड़ी से लेकर फल, फूल, ऑक्सीजन तक हर कदम पर हमें पेड़ों का फायदा मिलता है। पेड़ ही हैं जो वातारण में संतुलन बनाए रखने का काम करते हैं।सबसे बड़ी बात यह है कि मनुष्य जीवन के लिए सबसे जरूरी ऑक्सीजन भी हमें पेड़ों से ही मिलती है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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