अन्तर्राष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर चर्चा, समझौता बिंदुओं पर जोर
अरुल लुइस
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रतीक्षित मामले पर चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा में जोर समझौते के उन बिंदुओं पर है जो सुरक्षा परिषद और 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के बीच के रिश्तों से जुड़े हैं। इसका मुख्य मकसद सुरक्षा परिषद में अतिरिक्त स्थायी सदस्यों को शामिल करने जैसे विवादास्पद मुद्दों के हल का मार्ग प्रशस्त करना है।
सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर बुधवार को हुई अंतर सरकारी वार्ता (इंटर गर्वमेंटल निगोसिएशन-आईजीएन) के प्रथम सत्र में आइजीएन की अध्यक्ष सिल्वी लुकस ने बीते सितंबर में लंबी बहस-मुबाहिसे के बाद अंगीकृत मसौदे का इस्तेमाल करते हुए वार्ता को ‘सुरक्षा परिषद और महसभा के बीच के संबंधों’ पर केंद्रित कर दिया। सिल्वी ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि संबंधों का यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें असहमति से अधिक सहमति की गुंजाइश है और ऐसा करने से बातचीत बिना किसी द्वेष के हो सकेगी।
अध्यक्ष बनने के बाद लुकस पहली बार सदस्यों की बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं। वह संयुक्त राष्ट्र में लक्जमबर्ग की स्थायी प्रतिनिधि हैं। बीते साल उन्हें आईजीएन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने कहा कि अपने मतभेदों को दोहराने के बजाए सहमति के क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाए।
बैठक में भाग लेने वाले एक राजनयिक ने आईएएनएस से कहा कि कुछ मतभेद उभरे। लेकिन, कुल मिलाकर विचारों का समन्वय दिखा और पहले की बैठकों जैसी गर्मागर्म बहस से भी बचा गया।
अधिकांश देशों ने सुरक्षा परिषद और महासभा के रिश्तों को फिर से परिभाषित करने की बात कही। सदस्यों ने इस बात को उठाया कि सुरक्षा परिषद के स्थाई और अस्थाई सदस्यों को महासभा के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के दोनों निकायों के प्रमुखों को नियमित संपर्क में रहना चाहिए और सुरक्षा परिषद को अपने कार्यो की विस्तृत सूचना महासभा को निरंतर प्रदान करनी चाहिए।
बैठक में पाकिस्तान जैसे देशों ने भी सुरक्षा परिषद और महासभा के संबंधों में सुधार की वकालत की। पाकिस्तान मसौदा आधारित वार्ता का विरोध करता रहा है। उसका मकसद मुख्य रूप से परिषद में नए स्थायी सदस्यों के प्रवेश को रोकना है।
भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के समूह जी-4 की ओर जापान के स्थायी प्रतिनिधि मोतोहिदे योशिकावा ने कहा कि वार्ता के मसौदे को सर्वसम्मति से अपनाया गया था। महासभा के अध्यक्ष मोगेन्स लाइकेताफ ने आईजीएन से स्पष्ट रूप से कहा था कि वार्ता इसी मसौदे पर आधारित होनी चाहिए।
जी-4 देश सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए मिल कर आवाज उठा रहे हैं। ये चारों देश सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पाने के लिए प्रयासरत हैं।
भारत ने बैठक में कुछ नहीं कहा, क्योंकि जापान जी-4 का सामूहिक नेतृत्व कर रहा था। जापान पिछले माह सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया है। जापानी विदेश मंत्री ने अपने मंत्रालय में एक ‘रणनीतिक मुख्यालय’ खोला है ताकि सुरक्षा परिषद में सुधार और उसके विस्तार के लिए सघन प्रयास किए जा सकें।
भारत एक और ग्रुप एल-69 का भी सदस्य है जिसमें अफ्रीका, लातिन अमेरिका और एशिया के 42 देश शामिल हैं। यह संगठन भी सुरक्षा परिषद में सुधार, उसके विस्तार की वकालत करता है। इस समूह ने कहा कि वह 54 सदस्यीय अफ्रीकी यूनियन और 15 सदस्यीय कैरेबियन समूह के सुरक्षा परिषद और महासभा के रिश्तों से संबंद्ध विचारों से सहमत है।
बैठक में एल-69 और अफ्रीकी यूनियन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति बहाली अभियान से संबंधित प्रस्तावों के क्रियान्वयन में सहयोग करने वाले देशों से परामर्श करना चाहिए।
अफ्रीकी यूनियन की तरफ से सियरा लियोन के स्थायी प्रतिनिधि वांडी चिडी मिनाह ने कहा कि सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी यूनियन के वीटो शक्ति संपन्न दो सदस्यों प्रवेश मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अफ्रीका से संबंधित मुद्दों पर सतही तथ्यों के आधार पर निर्णय किया जाता है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि शांति और सुरक्षा के मामले में परिषद अक्सर चार्टर के उल्लंघन के साथ-साथ महासभा के अधिकार क्षेत्र का भी अतिक्रमण करती है।
पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह एक असफल कोशिश होगी क्योंकि ये देश उन देशों के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे जिनके बारे में माना जा रहा है कि ये उन्हीं के प्रतिनिधि होंगे।
लेकिन, लोधी ने यह माना कि संयुक्त राष्ट्र अपनी नैतिक वैधानिकता खो रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को तभी बदला जा सकता है जब सुरक्षा परिषद अपने फैसलों में महासभा की राय का सम्मान करे। यही संयुक्त राष्ट्र चार्टर की भी भावना है।
रूस के स्थायी प्रतिनिधि विताली चुरकिन ने विकासशील देशों की इस चिंता का समर्थन किया कि सुरक्षा परिषद, महासभा के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करती है। लेकिन, ब्रिटेन ने पूरा जोर देकर इस बात का विरोध किया। उसका कहना था कि ऐसे मामलों पर फैसला लेना सुरक्षा परिषद का अधिकार है क्योंकि अंतत: इससे शांति और सुरक्षा पर असर पड़ता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात
ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।
Glad to have met Prime Minister Giorgia Meloni on the sidelines of the Rio de Janeiro G20 Summit. Our talks centred around deepening ties in defence, security, trade and technology. We also talked about how to boost cooperation in culture, education and other such areas.… pic.twitter.com/BOUbBMeEov
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2024
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