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साइंस

ब्रोकली में पाया जाने वाला यौगिक कैंसर में असरदार

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ब्रोकली में पाया जाने वाला यौगिक, स्‍तन कैंसर में असरदार सल्फोराफेन यौगिक, शोध पत्रिका 'कैंसर प्रीवेंशन रिसर्च' में प्रकाशित, अमेरिका की ऑरेगन स्टेट युनिवर्सिटी, ऑरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों, क्रूसीफेरस सब्जियां

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सैन फ्रांसिस्को। अच्छी खबर, अच्छी खबर! ब्रोकली में पाया जाने वाला यौगिक स्तन कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि मंद करने में मददगार हो सकता है। खासकर प्रारंभिक चरणों में यह अधिक असरदार होता है। एक नए शोध से यह बात सामने आई है। यह शोध पत्रिका ‘कैंसर प्रीवेंशन रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है। अमेरिका की ऑरेगन स्टेट युनिवर्सिटी (ओएसयू) और ऑरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने एक नए अध्ययन में सुझाव दिया है कि ब्रोकली (एक प्रकार की गोभी) और क्रूसीफेरस सब्जियां (उसके परिवार से संबंधित वनस्पतियां) से प्राप्त होने वाले सल्फोराफेन (यौगिक) में लंबे समय तक कैंसर की रोकथाम वाले सबूत मिले हैं। इसलिए सल्फोराफेन कैंसर वृद्धि को कम करने में मददगार हो सकता है। यह पहला औषधीय अध्ययन का निष्कर्ष है कि जिसमें स्तन कैंसर का इलाज करा रही महिला के स्तन ऊतकों पर सल्फोराफेन के प्रभाव को देखा गया।

इस शोध में ऐसी 54 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिनकी मैमोग्राफी जांच में कुछ असाधारण तत्व मिले थे। इन्हें प्लेसबो परीक्षण के अंतर्गत सल्फोराफेन का सेवन करने के लिए दिया गया। ओएसयू कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ह्यूमन साइंसेज की प्रोफेसर एमिली हो ने बताया, “अध्ययन के बाद महिलाओं की जांच में हम यह देखकर चकित हो गए कि इस यौगिक के द्वारा उन असाधारण चिन्हों में कमी आई थी। इसका तात्पर्य है कि यह यौगिक कैंसर वृद्धि को मंद कर सकते हैं।” पहले हुए अध्ययनों में भी बताया गया है कि क्रूसीफेरस सब्जियां जैसे ब्रोकली, गोभी या फूलगोभी का उच्च सेवन स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है।

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साइंस

फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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