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पीएफ राशि पर टैक्स लगाने के फैसले का चौतरफा विरोध
नई दिल्ली। 2016-17 के बजट में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जमा कुल राशि के 60 फीसदी पर टैक्स लगाने के फैसले पर केंद्र सरकार का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में ईपीएफ तथा अन्य योजनाओं में सभी स्तरों पर छूट की पुरानी व्यवस्था में बदलाव लाते हुए एक अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान पर अंतिम निकासी के समय 60 फीसदी योगदान पर सेवानिवृत्ति कर लगाने का प्रस्ताव कर दिया। जेटली ने एक अप्रैल या उसके बाद पीएफ खाते में जमा होने वाली कुल रकम के 60 प्रतिशत पर टैक्स लगाने का फैसला बजट में कर दिया। वित्त मंत्री की ओर से पीएफ पर टैक्स लगाने के इस प्रावधान के बाद देश भर में इसका विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी यूनियन ने ईपीएफ पर नए टैक्स का जोरदार विरोध किया है। बता दें कि इस नए नियम से करीब 6 करोड़ कर्मचारी प्रभावित होंगे।
इस नए नियम से करीब 6 करोड़ कर्मचारी होंगे प्रभावित
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के इस फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने कर्मचारियों के हितों को ध्यान में नहीं रखा है और महज खजाने में राजस्व वृद्धि के लिए ये कदम उठाया गया है। जबकि सभी कर्मचारियों को इससे नुकसान होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। वहीं, मजदूर संगठन ने भी आम बजट से नाराजगी जताते हुए पीएफ पर टैक्स लगाने के फैसले का विरोध किया है। सीपीएम नेता एके पद्मनाभन का कहना है कि ये मजदूरों की जमा राशि और उनके जीवन भर की कमाई में जमा होता है, यह सभी ट्रेड यूनियनों के खिलाफ है। हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे। सरकार को इस फैसले को वापस लेना ही होगा। सीपीएम नेता ने कहा कि ईपीएफओ पर टैक्स का नया नियम काफी लगत है और हम इससे सहमत नहीं हैं।
बता दें कि अब नेशनल पेंशन स्कीम 138 के तहत सेवानिवृत्ति के समय कुल रकम की 40 फीसदी निकालने पर टैक्स में छूट दी जाएगी। बाकी 60 फीसदी पर टैक्स लगेगा। गौर हो कि फिलहाल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाएं पूरी तरह कर छूट के दायरे में आती हैं। ये योजनाएं ‘इग्जेम्प्ट-इग्जेम्प्ट-इग्जेम्प्ट’ (ईईई) के अंतर्गत आती हैं। यानी जमा, ब्याज तथा निकासी तीनों पर कर छूट का प्रावधान है। बजट में कहा गया कि विभिन्न प्रकार की पेंशन योजनाओं पर समान कर व्यवहार के इरादे से बजट में एक अप्रैल 2016 के बाद कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त भविष्य निधि तथा सेवानिवृत्ति कोष में जमा राशि में से 40 प्रतिशत तक की निकासी पर कोई कर नहीं लगेगा।
इसमें कहा गया है कि एक अप्रैल 2016 या उसके बाद सेवानिवृत्ति योजनाओं में किये गये योगदान पर जमा राशि की निकासी 40 प्रतिशत के अलावा शेष पर कर लगेगा। धारा 80सीसीडी के मौजूदा प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से निकासी राशि पर कर लगता है। पेंशन युक्त समाज की ओर बढ़ने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पेंशन योजनाएं वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं। मुझे विश्वास है कि परिभाषित लाभ और परिभाषित योगदान वाली पेंशन योजनाओं के मामले में कर व्यवहार समान होना चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं नेशनल पेंशन सिस्टम के मामले में 40 प्रतिशत तक निकासी पर कर छूट का प्रस्ताव करता हूं। सेवानिवृत्ति कोष और ईपीएफ समेत मान्यता प्राप्त भविष्य निधि के मामले में भी एक अप्रैल 2016 के बाद के योगदान से सृजित कुल कोष में 40 प्रतिशत कोष कर मुक्त होगा। मंत्री ने यह भी कहा कि पेंशनभोगी की मौत के बाद उसके कानूनी वारिस को मिलने वाली राशि पर कोई कर नहीं लगेगा। उन्होंने मान्यता प्राप्त भविष्य निधि और सेवानिवृत्ति कोषों में कर लाभ के लिये नियोक्ताओं का योगदान सालाना 1.5 लाख रुपये तक सीमित रखने का प्रस्ताव किया है। गौरतलब है कि सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा कर्मचारियों को दी जाने वाली सेवाओं पर 14 प्रतिशत सेवा कर को समाप्त किया जा रहा है।
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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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