बिजनेस
व्यावसायिक प्रशिक्षण को उन्नत कर सकता है बजट
चैतन्य मल्लपुर
देशभर में कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए एक लाख प्रशिक्षकों की कमी है। सवाल यह है कि ताजा बजट में कौशल विकास और उद्यमिता आवंटन गत वर्ष के 1,038 करोड़ रुपये से 74 फीसदी बढ़ाकर 1,804 करोड़ रुपये किया गया है। सवाल यह है कि क्या इससे देश कौशल विकास योजनामें रोजगार की कमी दूर हो सकेगी?
देश के करीब 90 लाख कामगारों में से सिर्फ दो फीसदी ने पेशेवर प्रशिक्षण हासिल किया है। देश में पेशेवर पाठ्यक्रमों में दाखिला का स्तर सालाना करीब 55 लाख है, जो चीन में नौ करोड़ और अमेरिका में 1.13 करोड़ है।राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा 2011-12 में कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, करीब 1.06 करोड़ भारतीय बेरोजगार हैं। इनमें से 78 लाख 20-59 वर्ष उम्र वर्ग में आते हैं। इसी तरह 47.4 करोड़ अंशकालिक रोजगार कर रहे हैं।
देश को हर साल 2.3 करोड़ नौकरी चाहिए, लेकिन गत 30 साल में हर साल सिर्फ करीब 70 लाख नौकरियों का ही सृजन हुआ है।सोमवार को पेश आम बजट में देशभर में 1,500 बहु-कौशल प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिस पर 1,700 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
उद्योग और शिक्षण संस्थानों की साझेदारी में नेशनल बोर्ड फॉर स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेशन की स्थापना के अलावा सरकार प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत अगले तीन साल में एक करोड़ युवाओं को भी प्रशिक्षित करना चाहती है।
पीएमकेवीवाई को 1,771 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से नेशनल स्किल डेवलपमेंट फंड/कारपोरेशन (एनएसडीसी) को सर्वाधिक 1,350 करोड़ रुपये मिला है, जिसे कौशल विकास के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र से कोष जुटाने का काम सौंपा गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मौजूदा कारोबारी साल के प्रथम छह महीने में एनएसडीसी ने अपने 37 करोड़ कौशल प्रशिक्षण लक्ष्य का 15 फीसदी से कम हासिल कया। साथ ही पीएमकेवीवाई के तहत 24 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले एनएसडीसी ने फरवरी 2016 तक प्रशिक्षण के मामले में 30 फीसदी से कम और प्रमाणन के मामल में 10 फीसदी से कम हासिल किया है।
लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, गत तीन साल में 40 विभिन्न कौशल विकास योजनाओं के तहत करीब 1.9 करोड़ लोगों को प्रशिक्षण मिला है। अभी 55 लाख लोग प्रशिक्षण कार्यक्रमों में दाखिल हैं, जबकि 15-24 वर्ष के 23.1 करोड़ लोग प्रशिक्षण का इंतजार कर रहे हैं।
देश में रोजगार का अवसर 2013 के 46.11 करोड़ से बढ़कर 2022 तक 58.19 करोड़ हो सकता है। निर्माण, रिटेल और वेलनेस जैसे अन्य कई क्षेत्रों में 2022 तक अतिरिक्त मांग 10.97 करोड़ रहने की उम्मीद है। एनएसडीसी के एक अध्ययन के मुताबिक 80 फीसदी अवसर सर्वाधिक रोजगार वाले 10 क्षेत्रों में होगा।
भवन निर्माण और रियल एस्टेट में 3.11 करोड़, लॉजिस्टिक्स, परिवहन और गोदाम में 1.17 करोड़ और सौंदर्य और स्वास्थ्य क्षेत्र में 1.01 करोड़ लोगों की जरूरत होगी। राज्यों में महाराष्ट्र में 1.55 करोड़, तमिलनाडु में 1.36 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 1.1 करोड़ रोजगार अवसर पैदा होंगे।
सरकर ने ऑनलाइन रोजगार पोर्टल ‘नेशनल कैरियर सर्विस’ के तहत 2016-17 के अंत तक 100 मॉडल कैरियर केंद्र खोलने का प्रस्ताव रखा है। पोर्टल जुलाई 2015 में लांच हुआ है और अब तक करीब 3.5 करोड़ लोगों ने इसमें रोजगार के लिए पंजीकरण कराया है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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