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‘आप’ नेता आतिशी का बड़ा आरोप, कहा- बीजेपी, जेल प्रशासन और ईडी केजरीवाल के खिलाफ रच रहे साजिश

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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की मंत्री और आप नेता आतिशी ने अरविन्द केजरीवाल को इंसुलिन का इंजेक्शन ना दिए जाने के मामले पर कहा कि उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी, जेल प्रशासन और प्रवर्तन निदेशालय का षडयंत्र चल रहा है।

आतिशी के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल का शुगर लेवल 300 से ऊपर जा रहा है। ऐसे में कोई भी डॉक्टर यह नहीं कहेगा कि 300 से ऊपर का शुगर लेवल बिना इंसुलिन के कंट्रोल हो सकता है। आतिशी ने कहा, अरविंद केजरीवाल बीते 30 साल से डायबिटीज के मरीज हैं। लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन के वकील ने केजरीवाल के इंसुलिन लेने की जरूरत का विरोध किया है।

आतिशी का कहना है कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा कि एम्स के डॉक्टर से बात की गई है। एम्स के डॉक्टर बताएंगे कि अरविंद केजरीवाल को क्या जरूरत है। जेल प्रशासन ने कहा कि एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि केजरीवाल यदि सही डाइट चार्ट फॉलो करेंगे तो उन्हें किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से बात करने की जरूरत नहीं है, न ही उन्हें इंसुलिन की जरूरत पड़ेगी।

आतिशी ने कहा कि हम आज एम्स के डॉक्टर की सच्चाई बताना चाहते हैं। तिहाड़ जेल ने एम्स के डॉक्टर का पक्ष तो रखा लेकिन हैरानी की बात यह है कि अरविंद केजरीवाल की एम्स के किसी डॉक्टर से मुलाकात नहीं करवाई गई। एम्स के किसी डॉक्टर ने अरविंद केजरीवाल का चेकअप नहीं किया। अरविंद केजरीवाल को एम्स के किसी डायबिटीज के डॉक्टर को नहीं दिखाया गया।

आतिशी के मुताबिक, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का डाइट चार्ट किसी डायबिटीज के डॉक्टर ने नहीं बनाया। बल्कि एम्स के न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट से एक स्टैंडर्ड डाइट चार्ट लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस डाइट चार्ट पर साइन करने वाली डॉक्टर, डायबिटीज की डॉक्टर नहीं हैं। यहां तक कि डाइट चार्ट पर साइन करने वाली डॉक्टर का प्रोफाइल यह दिखाता है कि वह एक एमबीबीएस डॉक्टर भी नहीं हैं।

आतिशी ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री जो 30 साल से शुगर के रोगी हैं, जिनका ईडी कस्टडी में शुगर लेवल 45 तक गिर गया था, उनके लिए एम्स से इस प्रकार का कंसल्टेशन किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया के जरिए अदालत को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।

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संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज

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नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।

संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।

बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”

घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।

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