उत्तराखंड
बस पलटने से 10 यात्री घायल
बस में सवार थे 35 लोग
कोटद्वार (पौड़ी)। पौड़ी के बीरोंखाल ब्लॉक में बृहस्पतिवार को सवारियों से भरी जीएमओयू की बस पुश्ता ढहने से खाई में गिरने के बाद पेड़ों पर जा अटकी। इससे बड़ा हादसा टल गया। दुर्घटना में दस लोग घायल हो गए, जिनमें चार की हालत गंभीर बनी है। घायलों को 108 सेवा से बीरोंखाल सामुदायिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहां से चार गंभीर घायलों को काशीपुर के लिए रेफर कर दिया गया है। हादसे की वजह बस का पट्टा टूटना बताया जा रहा है। बस सुबह पांच बजे कोटद्वार से सेंधार के लिए रवाना हुई थी।
कोटद्वार से सवारियों को लेकर बस सतपुली, पोखड़ा होते हुए दिन में करीब एक बजे वेदीखाल से भरोलीखाल मोटर मार्ग पर बढ़ी ही थी कि बस का पट्टा टूट गया, जिससे बस अनियंत्रित होकर एक तरफ चली गई। सड़क का पुश्ता कमजोर होने के कारण बस सड़क से करीब दस मीटर नीचे खाई में जा गिरी। गनीमत यह रही बस पलटने के बाद पेड़ों पर जा अटकी। बस में करीब 35 सवारियां बैठी थी। हादसे की सूचना मिलते ही वेदीखाल बाजार से लोग दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने राहत और बचाव कार्य शुरू किया। बीरोंखाल से 108 सेवा भी मौके पर पहुंच गई, जिससे दस घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यदि बस पेड़ पर नहीं अटकती तो भीषण दुर्घटना हो सकती थी।
घायलों में दलवीर सिंह निवासी कैलाड, विष्णु रावत निवासी एरोली, अमित निवासी सैंधार, मनोज जोशी निवासी सैंधार, दिवाकर प्रसाद सैंधार, ओमप्रकाश निवासी कैलाड शामिल है। गंभीर रुप से घायल विनोद कुमार निवासी कैलाड, अभिषेक बहुखंडी निवासी कैलाड, तुलीदास निवासी सैंधार और रामकिशन निवासी गेहूंलाड को काशीपुर रेफर कर दिया गया है। कई लोगों को मामूली चोटें लगी हैं, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद उनके गंतव्य स्थान को भेज दिया गया। जीएमओयू के महाप्रबंधक विजयपाल सिंह नेगी ने बताया कि जहां हादसा हुआ, वहां पर सड़क तंग है। पट्टा टूटने से बस एकतरफ हो गई और खाई में जा गिरी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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