उत्तराखंड
सड़क पर पलटी बस, एक दर्जन से अधिक घायल
चालक की समझदारी से बड़ी दुर्घटना टली
मसूरी। मसूरी से आगे पहाड़ी मार्ग पर रोडवेज बस का ब्रेक फेल हो जाने पर चालक ने सूझबूझ दिखाते हुए बस को पहाड़ी से टकरा दिया लेकिन चालक की समझदारी से बड़ा हादसा होने से बच गया। पहाड़ी से टकराते ही बस पलट गई जिससे लगभग दर्जन भर से अधिक यात्री घायल हो गए। घायलों को सेंट मेरी अस्पताल ले जाया गया है।
देहरादून प्रातः 9 बजे हनोल जा रही रोडवेज की बस का जेडब्ल्यू मेरिट होटल के समीप छतरी वाले बैंड के समीप बे्रक फेल हो गया। लेकिन चालक की समझदारी से बस गहरी खाई में जाने से बच गई। चालक दिनेश रावत निवासी कांडी गांव जौनपुर ने सवारियों को कहा कि सिर अंदर कर लो बस के ब्रेक फेल हो गये। और उन्होंने रफ्तार बढ़ते ही बस को पहाड़ी से टकरा दिया जिसके कारण बस हाइवे पर ही पलट गई। जिसमें सवार एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये। स्थानीय लोगों ने घायलों को बस से निकाला व 108 के माध्यम से राजकीय सेंट मेरी चिकित्सालय पहुंचाया, जहां घायलों का उपचार चल रहा है। घायलों में पीएन मल्होत्रा (71) पुत्र जेएन मल्होत्रा निवासी कैमल्स बैक रोड, भरत (30) पुत्र राजकुमार निवासी जयपुर राजस्थान, मोहित सैनी (35) पुत्र बलवीर सिंह निवासी चंडीगढ़, शिव सिंह (50) पुत्र धनसिंह रावत निवासी जौनपुर टिहरी गढ़वाल, प्रकाष (62) पुत्र रामचरण निवासी अजबपुर कलादीप नगर देहरादून, अविनाश (28) पुत्र देवानंद निवासी (16) अर्श कांपलेक्स नोएडा, राहुल (16) पुत्र जसबीर सिंह मोरी उत्तरकाशी, लाल बहादुर (62) पुत्र पूरण बहादुर निवास बंजारावाला देहरादून, फरत (22) पुत्र हनुमान राय निवासी जयपुर राजस्थान, शीला (45) पुत्र प्रकाश अजबपुर दीप नगर देहरादून, प्रकाशी (60), निवासी अजबपुर कलादीप नगर देहरादून, रोशनी देवी (55) पत्नी रायचंद सिंह ग्राम सुरांसू जौनपुर का उपचार राजकीय सेंट मेंरी चिकित्सालय में किया गया। वहीं गंभीर घायल मोहित सैनी को देहरादून रैफर कर दिया गया। घायलों में पुष्पा देवी (70) पत्नी पुरुषोत्तम दत्त नैथानी एवं देवी प्रसाद नैथानी (46) पुत्र दयाराम नैथानी खुद उपचार के लिए देहरादून चले गये। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। बस चालक दिनेश रावत व परिचालक सुरेश राणा सहित दो दर्जन से अधिक लोगों को कोई चोट नहीं आई।
बेक्रफेल होने पर बस को पहाड़ से टकराया
मालूम हो कि उत्तराखंड परिवहन निगम की खटारा बसों की ओर बार बार विभाग व प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जाता रहा है लेकिन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा व जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। आये दिन रोडवेज की बसें सड़कों पर खडी नजर आ जाती हैं व सवारियों को गंतव्य तक नहीं पहुंचा पाती। यही कारण है कि रोडवेज से लोगों का विश्वास उठ रहा है और अन्य साधनों से यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ता है।
वहीं दूसरी ओर कुण्ड-ऊखीमठ मोटरमार्ग पर एक स्विफ्ट कार के दुर्घटनाग्रस्त होने से कार चालक की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी है। जबकि कार में सवार दूसरा व्यक्ति सुरक्षित है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गैड़ निवासी 42 वर्षीय पूर्व सैनिक व वर्तमान में एसबीआई सतपुली शाखा में गार्ड के पद पर तैनात प्रकाश सिंह पुत्र मोहन सिंह पंवार कुण्ड से ऊखीमठ की ओर आ रहा था। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के निकट कार अनियंत्रित होकर लगभग पचास मीटर गहरी खाई में जा गिरी। कार के खाई में गिरने की सूचना स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस प्रशासन को दी गयी, खबर मिलते ही थानाध्यक्ष सत्यव्रत मयफोर्स घटना स्थल पर पहुंचे तथा गम्भीर रुप से घायल व्यक्ति को सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र ऊखीमठ लाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कार में सवार दूसरा व्यक्ति सुरक्षित बताया जा रहा है। समाचार लिखे जाने तक पुलिस शव का पंचानामा भरकर पीएम की तैयारी कर रही थी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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