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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का नायाब उदाहरण बना निवेश मित्र पोर्टल, प्रदेश में 1446 दिन में 5,04,798 उद्योगों को दी गई एनओसी

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लखनऊ। वैश्विक महामारी कोरोना की कठिन चुनौतियों के बावजूद उत्तर प्रदेश निवेश के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ रहा है। प्रदेश में पहली बार हुआ है कि उद्योगों को निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से 1446 दिनों में 5,04,798 एनओसी दी गई है। इसमें विदेशी कंपनियों से लेकर घरेलू कंपनियां भी शामिल हैं, जो प्रदेश में लाखों करोड़ रुपए का निवेश कर उत्पादन कर रही हैं। सरकार के निवेश फ्रेंडली सिस्टम के कारण 2,43,161 उद्यमियों ने संतुष्टि भी जाहिर की है।
निवेश मित्र पोर्टल पर श्रम विभाग ने सबसे अधिक 63,617 एनओसी दी है। ज्यादातर आवेदन में 21, 30 और 60 दिन में एनओसी की समय सीमा निर्धारित थी, लेकिन ज्यादातर आवेदन में एनओसी एक, दो और पांच दिन में दी गई। ऐसे ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 23,509 एनओसी औसतन 10 दिन में दी है। इसमें ज्यादातर आवेदन के लिए समय सीमा 10, 90 और 120 दिन निर्धारित थी। फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग ने औसतन छह दिन में 21,373 एनओसी दी है, जबकि सरकार की ओर से समय सीमा सात, 15 और 30 दिन निर्धारित थी। इस बारे में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने ट्विट कर कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के निवेश मित्र पोर्टल के तहत जारी प्रमाण पत्र/एनओसी/स्वीकृति/सहमति की संख्या पांच लाख पार कर गई है।

2018 में शुरू किया था सिंगल विंडो सिस्टम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पहली बार उद्योगों को आनलाइन एनओसी देने के लिए फरवरी 2018 में सिंगल विंडो सिस्टम की शुरूआत की थी और निवेश मित्र पोर्टल लांच किया था। इस पोर्टल के माध्यम से सभी प्रकार की एनओसी पारदर्शिता के साथ निर्धारित समय में दी जाती है। इससे उद्यमियों को चक्कर काटने से मुक्ति मिलती है और उनका समय बचता है।

पहले कई साल लगते थे, अब 72 घंटे में मिल रही एनओसी
औद्योगिक क्षेत्र के विशेषज्ञ कहते हैं कि यूपी सरकार ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए जो प्रयास किए हैं, यह उसी का परिणाम है। निवेश मित्र पोर्टल से उद्यमियों की काफी समस्याओं का समाधान समय रहते हो रहा है। इसी वजह से प्रदेश में नए निवेशक आकर्षित हो रहे हैं। वह कहते हैं कि सरकारी क्षेत्र में तकनीकी के इस्तेमाल से उद्यमियों को बेवजह की पेचीदगियों से मुक्ति मिली है। उद्यमियों के लिए सरकार ने सभी स्वीकृतियां, अनुमोदन और अनुमति आनलाइन की है। कई तरह के लाइसेंसों, एनओसी, स्वीकृतियों और अनुमोदन का डिजिटाइजेशन किया गया है। औद्योगिक इकाइयों की ओर से विभिन्न अधिनियमों के तहत दाखिल करने वाले रिटर्न या सूचनाओं को तर्कसंगत और एकीकृत करते हुए कम किया गया है। पहले उद्योगों को एनओसी मिलने में कई बार कई साल लग जाते थे, लेकिन अब 72 घंटे में एनओसी दी जा रही है। लंबित भुगतान के लिए 18 मंडलों में फैसिलिटेशन काउंसिल का गठन किया गया है, जबकि प्रदेश में पहले यह सिर्फ कानपुर में था।

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नेशनल

संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज

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नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।

संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।

बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”

घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।

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