आध्यात्म
इस तारीख को है अजा एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त व पूजन विधि
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। एकादशी हर माह में दो बार पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 23 अगस्त को अजा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 22, 2022 को 03:35 AM बजे
एकादशी तिथि समाप्त – अगस्त 23, 2022 को 06:06 AM बजे
व्रत पारण समय-
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 24 अगस्त को 05:55 AM से 08:30 AM
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:30 AM
शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- अगस्त 24 04:26 AM से 05:10 AM
अभिजित मुहूर्त- अगस्त 24 11:58 AM से 12:49 PM
विजय मुहूर्त- अगस्त 24 02:33 PM से 03:25 PM
गोधूलि मुहूर्त- अगस्त 24 06:40 PM से 07:04 PM
त्रिपुष्कर योग- अगस्त 24 10:44 AM से 05:55 AM
निशिता मुहूर्त- अगस्त 24 12:02 AM से 12:46 AM
एकादशी व्रत पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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