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उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड में नहीं जीते तो जीत के कोई मायने नहींः शाह

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देवभूमि उत्तराखंड, अमित शाह, पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्पण

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देवभूमि उत्तराखंड, अमित शाह, पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्पण

Amit Shah Haridwar

पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्पण से ही जीत मिलेगी

देहरादून। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यूपी और उत्तराखंड में एक साथ चुनाव होगा। यदि देवभूमि उत्तराखंड में भाजपा नहीं जीतती तो देश में अन्य जगह की जीत कोई मायने नहीं रखती और देवभूमि को जीतने का मूल मंत्र पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्पण होगा।

इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की प्रदेश सरकार पर भी जमकर प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने आकाश से लेकर पाताल तक घोटाले किए हैं। नैनीताल रोड स्थित वाटिका बैंक्वेट हाल में रविवार को पार्टी की प्रांतीय परिषद बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने  साफ कहा कि 2017 के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के लिए कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायकों के संबंध में उन्होंने साफ कहा कि भीतर-बाहर के झगड़े का कोई मतलब नहीं। 2017 में भाजपा उसी पर दांव खेलेगी जिसकी जीत सुनिश्चित लगेगी।

उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़कर आए इन पूर्व विधायकों को अपनाने में संकोच न करें। इन विधायकों ने भ्रष्टाचार का साथ न देने के लिए भाजपा का दामन थामा है।

शाह ने यह भी साफ कर दिया कि भाजपा की निगाह 2019 के लोकसभा चुनाव पर है और इस चुनाव में जीत की राह इन्हीं दो राज्यों से होकर गुजरती है। यहां नहीं जीतते हैं तो किसी जीत का महत्व नहीं रह जाता है।

नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए शाह ने आगामी चुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा। उन्होंने कहा कि यहां बदरीनाथ, केदारनाथ और हरिद्वार में गंगा मैया के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में विपक्ष की कमजोरी या समाचार पत्रों के समर्थन से जीत नहीं मिलेगी बल्कि यहां जीत पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्पण से मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश में 1600 राजनीतिक दल हैं लेकिन भाजपा सबसे अलग है।

शाह ने बताया कि वह पहले गुजरात के नारायणपुरा अहमदाबाद के बूथ इंचार्ज थे। पार्टी में समर्पण भावना से काम करने पर उनको आज राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओहदा मिला है।

एक घोड़े का उदाहरण देते हुए अमित शाह ने कहा कि जीत की नाल बूथ इंचार्ज को ठोकनी है। यदि नाल बूथ इंचार्ज ने ठोक दी तो जीत को कोई नहीं रोक सकता है। इस बीच, अमित शाह के कहने पर प्रांतीय परिषद के सदस्यों ने हाथ उठाकर समर्पण भाव से काम करने का संकेत दिया।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यदि आप लोग तैयार हैं तो पार्टी की जीत को कोई नहीं रोक सकता है। जीत मिलेगी तो पार्टी कार्यकर्ता का भी मान बढ़ेगा।

शाह ने कहा कि प्रांतीय कार्यकारिणी करीब 2000 की है। इसमें 2000 और जुड़ भी जाते हैं तो फर्क क्या पड़ता है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनना जरूरी है।

मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों और किसानों की सरकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में देश का मान बढ़ाया है।

यूएनओ से जुड़े दुनिया के 173 देशों ने भारत के योग का समर्थन किया। चीन से ज्यादा जीडीपी भारत की है। मुद्रा भंडार और विदेशी निवेश प्रधानमंत्री की नीतियों के चलते बढ़ी है। दो साल की सरकार के दौरान चुनाव में महाराष्ट्र और आसाम में पहली बार पार्टी के सीएम बने।

जम्मू-कश्मीर में पहली बार भाजपा का उप मुख्यमंत्री बना। हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में जीत हासिल हुई। अब उत्तराखंड की बारी है। उन्होंने कहा कि बिहार और दिल्ली में बेशक चुनाव हारे पर भाजपा का वोट प्रतिशत घटा नहीं।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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