नेशनल
सिख दंगे पर अटल ने दिया था हैरान कर देने वाला बयान, सुन कांग्रेसी रह गए थे दंग
राजधानी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की तबीयत कई दिनों से नाजुक बनी हुई थी। कल शाम 5 बजे के करीब यह समाचार आया कि अटल अब नहीं रहे। काफी लोगों को एक धक्का लगा है कि अब अटल हमारे बीच नहीं रहे। इनके जीवन में विवाद कम नहीं थे। 1984 वाला सिख दंग आज तक कोई नहीं भूल पाया है। इंदिरा की नृशंस हत्या के बाद नवंबर 1984 को दिल्ली मे सिखों का संहार होने लगा तो अटल ने रहा नहीं गया।
31 तारीख को इंदिरा गांधी की हत्या हुयी और 1 नवम्बर से ही पूरी दिल्ली को दरिंदों ने दंगों की चादर उढ़ा दी। समय के पहर के साथ ही लाशों की गिनती बढ़ती जा रही थी। अकेले दिल्ली में ही पौने तीन हज़ार सिखों की बर्बरतापूर्वक हत्या हुयी थी। इस दौरान राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह (जो की खुद एक सिख थे) बेबस बने रहे, वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे क्यूंकि राजीव गांधी के कलेजे को ठंडक मिले इसके लिए थोड़ी जमीन और हिलनी बाकी थी, भला बड़ा पेड़ जो गिरा था।
ज़ैल सिंह अपने कार्यालय से तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विजय मल्होत्रा को फोन करके दंगो में घिरे सिखों के घर के पते नोट करा रहे थे ताकि भाजपा के कार्यकर्ता उनकी मदद कर सकें। इस दौरान अटल जी का कार्यकर्ताओं को सख्त निर्देश था की सिखों की रक्षा हर हाल में करनी है चाहे खुद की जान ही क्यों न चली जाये !
दंगों में शुरू में कांग्रेस ने जनता को गुमराह करके रखा और कहा की दिल्ली में सिर्फ कुछ सौ या सवा सौ जानें गयी हैं। अटल ने यह सुनते ही घोषणा की ”ये तो साफ़ झूठ है,कम से कम ढाई हज़ार सिखों का नरसंहार हुआ है।” उनका मानना था कि जिसने भी ये किया है, जो कोई भी आदमी इसमें शामिल है वो इंसान की परिभाषा से कोसों दूर है, पाशविक है, पापी है, धर्मांध है, काफ़िर है।
अटल जी की ये घोषणा उस वक्त के राजनीतिक माहौल में बीजेपी के खिलाफ जा रही थी, लेकिन अटलजी चुप नहीं बैठे, वह निर्दोष सिखों के नरसंहार के मामले पर हर उस शख्स को कोसते रहे जिसके सामने आगज़नी, हत्याएं हुईं और वह मोहल्ले में चुप खामोश रहा।
इसके बाद चुनाव सर पर थे। इंदिरा गांधी के मौत के बावजूद 4 साल पुरानी भाजपा की दिल्ली में अच्छी पकड़ थी। दिल्ली भाजपा को लगा की वो सारी सीटें जीत लेंगे, पर परिणाम आया तो भाजपा की दिल्ली में शर्मनाक पराजय हुयी थी, जनता ने कांग्रेस को एकमुश्त वोट दिए।
पार्टी के कई नेताओं ने और कार्यकर्ताओं ने इसके लिए इंदिरा जी के प्रति सहानुभूति से ज्यादा दोषी अटल जी के उस बयान को ठहराया जिससे दिल्ली की जनता बीजेपी से खफा हो गई थी। ये बात लेकर भाजपा की दिल्ली इकाई अटल जी के पास पहुंची। दिल्ली यूनिट ने कहा ”अटल जी आपको ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था, हम सभी सीट जीत सकते थे पर आपके बयान के चलते हम सभी सीटें हर गए।” ये सुनकर अटल जी ने उन सभी की तरफ देखते हुए कहा ”मैं ऐसे दसियों चुनाव हारने को तैयार हूँ..।”
अटल जी से ये सुनकर सभी खामोश हो गए। एक वाक्य ने उन सभी के सवालों का जवाब दे दिया था..सभी समझ गए थे कि अटल जी उन लोगो में से हैं जो तख़्त और ताज को लात मार सकते हैं , उसूलों और आदर्शों को नहीं..वो ऐसे ही अटल नही है। ऐसे थे हमारे श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ! जिनको राजनीति में तमगे की ख्वाहिश नहीं थी, उन्हें सिर्फ देश की फ़िक्र थी। सिर्फ देश की। ना पार्टी की ना खुद की, सिर्फ देश की और देशवासियों की।
दरअसल, उन नेताओं का गुस्सा इस बात पर था की वो लोकसभा पहुँचते पहुँचते रह गए, उन नेताओं को मारे गए लोगों की कोई फ़िक्र नहीं थी। उनके पांव तो संसद की चौखट पर कदम रखने को आतुर थे बजाये पीड़ितों के चौखट के। पर अटल जी के उस एक वाक्य ने न सिर्फ उन सबको आत्ममंथन पर मजबूर किया वरन उन सबके सामने ये बात भी पुख़्ता कर दी की अटल जी के आदर्श हिमालय से भी ऊंचे है और उनके उसूल अटल हैं, इसलिए भाजपा इस बार भले ही 2 सीटें पायी हो पर हम इस अंधरे की छटा से निकल कर कमल खिलाएंगे। जरूर खिलाएंगे।
उत्तर प्रदेश
दिवाली के दिन यूपी के इस जिले में 25 करोड़ की शराब पी गए लोग
गौतमबुद्ध नगर। उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला अक्सर चर्चा में रहता है। चाहे वो सोसाइटीज की समस्या को लेकर हो या विकास की रफ्तार को लेकर हो या फिर त्योहारों पर बिक्री को लेकर। दिवाली का त्योहार बीत गया है।
इस बीच, दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले में शराब की बिक्री को लेकर जानकारी सामने आई है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल यहां शराब की बिक्री में 25 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। यानी दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले के लोग शराब के नशे में भी खूब झूमे हैं।
दिवाली में पिया 25 करोड़ की शराब
दिवाली के जश्न के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले में लोग 25 करोड़ रुपये की शराब गटक गए, जो पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पूरे अक्टूबर माह में जिले के लोगों ने 250 करोड़ रुपये शराब पर खर्च किए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 204 करोड़ रुपये था।
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