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आध्यात्म

Sawan में की गई इन गलतियों को शिवजी हो जाते हैं नाराज, नहीं करते कभी माफ

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सावन का महीना भोलेनाथ को मनाने के लिए बहुत ही अच्छा होता है। लड़कियां मनचाहा साथी पाने के लिए इस महीने भोले बाबा के वत्र रखती हैं तो महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु पाने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाती हैं।

साभार – इंटरनेट

लेकिन कुछ लोग Sawan के महीने में कुछ ऐसी गलती करते हैं। जिससे भोलेनाथ नाराज हो जाते हैं। आज हम आपको उन गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं। जो आपको सावन के महीने में कभी नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं भोलेबाबा की कृपा पाने के लिए कौन से काम करने से बचना चाहिए।

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मांस-मदिरा – नॉनवेज खाने के शौकीन लोग सावन के महीने में मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करें। इसके अलावा इस महीने में शादी जैसे शुभ काम भी नहीं किए जाते हैं बल्कि इस समय ब्रह्मचर्य व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। Sawan के महीने में एक व्रती को हरी सब्जियां और साग नहीं खाना चाहिए। शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए और न ही कांस के बर्तन में खाना-खाना चाहिए। पूजा के समय में शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं।

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दूध – सावन के महीने में दूध का सेवन अच्छा नही होता है। यही कारण है कि Sawan में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने की बात कही गई है। इससे वात संबंधी दोष से बचाव होता है। Sawan के महीने में दिन के समय नहीं सोना चाहिए। कहा जाता है कि इस महीने बैंगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है इसलिए द्वादशी, चतुर्दशी के दिन और कार्तिक मास में भी इसे खाने की मनाही होती है।

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सांड – इस महीने अगर घर के दरवाजे पर सांड आए तो उसे भगाने की जगह कुछ खाने को दें। सांड को घर से भगाना शिव की सावारी नंदी का अपमान माना जाता है। Sawan के महीने में शिव भक्तों का अपमान न करें। भगवान शिव के भक्तों का सम्मान शिव की सेवा के समान फलदायी होता है।

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क्रोध – Sawan महीने में क्रोध में आकर किसी को भी अपशब्द न कहें। इसके अलावा घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें। जीवनसाथी के साथ भी किसी भी तरह के विवाद और अपश्ब्दों का प्रयोग करना बुरा माना जाता है। इन दिनों शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है, इसलिए किसी बात से मन मुटाव की आशंका होने पर शिव पार्वती की पूजा करनी चाहिए।

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शिव का जलाभिषेक – Sawan के महीने में प्रति दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। इससे कई जन्मों के पाप कम हो जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है सावन में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान करके भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। देर तक सोने से यह अवसर हाथ से चला जाता है और ऐसे लोग शिव की कृपा से वंचित रह जाते हैं।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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