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उत्तर प्रदेश

जेल में बंद हत्यारोपी गैंगस्टर सुरेश यादव के ढाबे पर गरजा ‘बाबा का बुलडोजर’

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रायबरेली। रायबरेली के आदित्य सिंह हत्याकांड के जेल में बंद मुख्य आरोपित सोमू ढाबा के संचालक सुरेश यादव के लखनऊ- प्रयागराज नेशनल हाइवे पर रतापुर में स्थित सोमू ढाबा पर आज बाबा का बुलडोजर गरजा। एडीएम अमित कुमार ने बताया कि सोमू ढाबा बिना नक्शा अवैध रूप से कब्जा कर की गई जमीन पर बना था। इसलिए इसके ध्‍वस्‍तीकरण की कार्रवाई की जा रही है।

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ढाबा पर खाना खाने आया था आदित्य

गौरतलब है कि रायबरेली के महराजगंज के सिकंदरपुर निवासी डीफार्मा का छात्र आदित्य सिंह नौ अक्टूबर 2019 की रात सोमू ढाबा पर खाना खाने आया था। तभी होटल के वेटरों ने उसके साथ झगड़ा किया। उसे दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था। बाद में महराजगंज रोड पर उसका पीछा किया गया।

उसकी बुलेट के आगे सफारी लगा दी गई थी और पीछे से स्कार्पियो से टक्कर मारकर उसकी हत्या कर दी गई थी। दस अक्टूबर की सुबह उसका शव महराजगंज रोड पर गढी खास गांव के पास मिला था। इसी मामले में सोमू ढाबा मालिक सुरेश यादव समेत 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। मामले में सभी 13 लोगों को जेल भेजा गया था। सोमू ढाबा मालिक सुरेश यादव अभी भी जेल की सलाखों के पीछे है।

पूर्व में भी कुर्क हुई थी संपत्‍त‍ि

रतापुर निवासी सुरेश यादव अक्टूबर 2019 में हुई छात्र आदित्य सिंह की हत्या के मामले में मुख्य आरोपित हैं और जेल में बंद हैं। आरोपित के खिलाफ पहले भी लूट, मारपीट, बंधक बनाने के मामले पंजीकृत किए गए थे। वर्ष 2020 में सुरेश पर गैंगस्टर लगाया गया था।

गैंगस्टर अधिनियम की धारा 14 (1) के तहत उसकी संपत्ति कुर्क की गई थी, जिसकी कीमत 6.03 करोड़ बताई गई थी। ये अचल संपत्ति उनके व उनकी पत्नी सरोज यादव के नाम थी। इसमें रतापुर में तीन दुकानें, रतापुर में ही दो भूखंड, चतुर्भुजपुर व अलीपुर आयमा में एक-एक भूखंड शामिल था।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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