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कभी बने थे सात दिन के लिए सीएम, अब कर्नाटक में तीसरी पारी खेलेंगे येदियुरप्पा

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कर्नाटक में हाई वोल्टेज ड्रामे के बीच भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली है। येदियुरप्पा राज्य के 23वें मुख्यमंत्री बने हैं। राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। खास बात यह भी है कि येदियुरप्पा के साथ किसी अन्य नेता ने फिलहाल मंत्री पद की शपथ नहीं ली है।

वैसे येदियुरप्पा के सीएम पद की दौड़ आसान नहीं थी। उन्होंने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 2018 में कमल को खिलाने का पूरा दारोमदार अपने कंधों पर उठा रखा था। बीजेपी के लिए वह कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि भाजपा ने उनके लिए सारा सियासी गणित ही बदल डाला। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद हुए ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनाव भाजपा ने पीएम मोदी को चेहरा बनाकर लड़े और जीतने के बाद सीएम की कुर्सी को लिए नेता का चुनाव हुआ लेकिन कर्नाटक चुनाव इसका अपवाद रहा। येदियुरप्पा को पहले ही सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया था।

दरअसल कर्नाटक की राजनीति में बुकंकरे सिद्दालिंगप्पा येदियुरप्पा बड़ा चेहरा हैं। येदियुरप्पा ने साल 2008 के बाद राज्य में दूसरी बार कमल खिलाने के लिए जमकर मेहनत भी की। येदियुरप्पा ने अपनी पुरानी परंपरागत शिकारीपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। ये लिंगायत बहुल सीट मानी जाती है। येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं।

27 फरवरी 1943 को जन्मे येदियुरप्पा ने जमीनी स्तर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। जनसंघ से जुड़े रहने के दौरान उनकी छवि एक किसान नेता की रही है। 1977 में वह जनता पार्टी के सचिव के रूप में कार्यरत रहे और 1988 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कमान संभाली। इमरजेंसी के दौरान वह जेल में भी रहे। येदियुरप्पा भारतीय जनता पार्टी की ओर से दक्षिण में कमल खिलाने वाले पहले नेता हैं।

सात दिन के लिए बने सीएम
साल 2007 में कर्नाटक में राजनीतिक उलटफेर हुए और वहां राष्ट्रपति शासन लग गया। ऐसे में जेडीएस और बीजेपी ने अपने मतभेद दूर किए और मिलकर सरकार बनाई। येदियुरप्पा के लिए यह लकी साबित हुआ और 12 नवंबर 2007 को वह राज्य के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, वह ज्यादा दिन तक इस कुर्सी पर बने नहीं रह पाए और जेडीएस से मंत्रालयों के प्रभार को लेकर हुए विवाद के बाद सात दिन बाद ही 19 नवंबर 2007 को ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

वर्ष 2008 में 224 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी बहुमत हासिल करने में सफल रही थी। इस बार फिर येदियुरप्पा बीजेपी के चेहरे के तौर पर सीएम बने, लेकिन तीन साल दो महीने का उनका कार्यकाल काफी विवादों में रहा। कथित भूमि घोटाले से लेकर खनन घोटाले तक में उनका नाम आता रहा, इस दौरान लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद उनकी कुर्सी चली गई। उन पर जमीन और अवैध खनन घोटाले के आरोप लगे थे। इसके बाद वह जेल गए और फिर रिहा हुए। इसके बाद उन्होंने बीजेपी से बगावत करके अपनी पार्टी का गठन किया। ऐसे में लगा कि वह पूरे लिंगायत फैक्टर के साथ अपने बल पर राजनीति करेंगे, लेकिन बीजेपी को यह समझते देर नहीं लगी कि येदियुरप्पा के बिना राज्य में उसका कोई जनाधार नही रह जाएगा।

मोदी के पीएम उम्मीदवार बनने के बाद जनवरी 2013 में उनकी दोबारा से भाजपा में कमबैक हआ। कई संकटों से उबरकर येदियुरप्पा ने खुद को पार्टी के अंदर राजनीतिक धुरंधर के रूप में साबित किया है। अब देखना है कर्नाटक में उनकी तीसरी पारी कितनी सफल रहती है।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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