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इन दो किसानों का फार्मूला ला सकता है बुंदेलखंड के किसानों में खुशहाली

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विश्व पृथ्वी दिवस 2018 (Earth Day) पर हम आज आपके सामने एक उदाहरण पेश करते हैं कैसे अगर व्यक्ति चाहे तो सूखे में हरियाली ला सकता है। और उससे अपनी आजीविका का साधन बन दूसरों के सामने मिसाल पेश कर सकता है।

बुंदेलखंड का नाम सुन कर लोगों के सामने एक तस्वीर आती है जो बेहद खतरनाक है। वहां जीवन बिताना बहुत दुष्कर है। हम आपके सामने बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र की। जहां कई किलोमीटर तक धरती खाली और वीरान खेत नजर आते हैं, मगर टीकमगढ़ जिले के नादिया गांव में अमरचंद प्रजापति के खेतों में हरियाली नजर आती है। यह ऐसा किसान है, जो एक एकड़ में पपीता और सब्जियां उगाकर सालाना करीब पांच लाख रुपए की कमाई में सफल हो रहा है।

किसान अमरचंद प्रजापति और नाथूराम कुशवाहा मिलकर एक एकड़ जमीन पर पपीता, मिर्ची, टमाटर, बैंगन वगैरह की खेती बहुत कम पानी का उपयोग कर खुशहाली की मिसाल बन गए हैं।

अमरचंद बताते हैं कि, एक एकड़ क्षेत्र में 20 से ज्यादा कतारों में पपीता लगाए हैं, वहीं बीच के हिस्से में मिर्ची, टमाटर और बैंगन उगाया है, इससे उन्हें सालाना पांच लाख रुपए से ज्यादा की आमदनी हो जाती है। इतना ही नहीं, वे यह सारी फसल बहुत कम पानी का उपयोग कर उगाते हैं।

नाथूराम के मुताबिक, वे दिनभर में इन फसलों की मुश्किल से आठ सौ लीटर पानी से सिंचाई करते हैं। उनके ट्यूबवेल में पानी बहुत कम है, इसके बावजूद ​ड्रिप सिंचाई का उन्हें भरपूर लाभ मिल रहा है। कम पानी में भी वे अच्छी फसल ले रहे हैं।

अमरचंद के खेत में पहुंचकर दूर से पपीते के पेड़ नजर आते हैं और जमीन में काली पॉलीथिन बिछी नजर आती है। पॉलीथिन के नीचे मिट्टी की क्यारी बनी हुई है और उस पर ट्यूब बिछी हुई है। इस ट्यूब से हर पेड़ के करीब पानी का रिसाव होता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और ऊपर पॉलीथिन होने के कारण पानी वाष्पीकृत होकर उड़ नहीं पाता। लिहाजा, कम पानी में ही पेड़ों की जरूरत पूरी हो जाती है।

नाथूराम की मानें तो पपीता की अच्छी पैदावार हो तो एक कतार से ही 50 हजार रुपए का पपीता सालभर में निकल आता है। एक एकड़ में बीस कतार हैं, इस तरह अच्छी पैदावार होने पर सिर्फ पपीता से ही 10 लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। इसके अलावा अन्य सब्जियों से होने वाली आय अलग है।

अमरचंद और नाथूराम एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वन ड्रॉप मोर क्रॉप’ के संदेश को सफल बनाने में लगे हैं, वहीं जैविक खाद का उपयोग करने में भी पीछे नहीं हैं। इन दो किसानों की जोड़ी की तरह अन्य किसान भी कम पानी और ड्रिप एरिगेशन को अपनाएं तो सूखे बुंदेलखंड में किसानों में खुशहाली आ सकती है।

इनपुट आईएएनएस

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।

इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।

इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

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