उत्तराखंड
यात्री बस दुर्घटनाग्रस्त, एक की मौत 11 घायल
कीर्तिनगर। देवप्रयाग के निकट मूल्यागांव में उस वक्त बड़ी घटना होने से बच गई जब कर्नाटक के यात्रियों को बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम के दर्शनों के पश्चात हरिद्वार ले जा रही एक निजी बस सड़क से नीचे खेत में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। दुर्घटना में कर्नाटक के अनंतपुर निवासी 47 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई जबकि बस में सवार 11 यात्री घायल हो गए जिनमें से 5 का ईलाज देवप्रयाग अस्पताल में जबकि 6 घायलों का ईलाज राजकीय बेस अस्पताल श्रीनगर गढ़वाल में किया जा रहा है।
डाक्टरों ने सभी घायलों की स्थिति सामान्य बतायी है। बस में कुल 26 लोग सवार थे। दुर्घटना घटित होते ही आईटीबीपी के जवानों सहित स्थानीय लोगों ने मौके पर जल्द बचाव कार्य में सहयोग नहीं किया होता तो हताहतों की संख्या बढ़ भी सकती थी। बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम की यात्रा के पश्चात जब बस मूल्यागांव में पंतजलि आश्रम के निकट पहुंची तो अचानक मोड़ पर बस चालक वाहन पर नियंत्रण नहीं रख सका और बस मिट्टी में उतरकर सड़क के नीचे मौजूद खेत में जा गिरी।
हैरत की बात तो यह रही कि एक बार पलटी बस खेत में जाकर ही अटक गई नहीं तो बस ने एक और पलटी खाई होती तो सीधे 200 मीटर नीचे खाई में बह रही अलकनन्दा नदी में समा सकती थी। इत्तेफाक से उसी समय वहां से गुजर रहे आईटीबीपी के जवानों ने दुर्घटना देखते ही अपने वाहनों से उतरकर स्थानीय ग्रामीणों के साथ बचाव व राहत कार्य शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद पहुंची पुलिस फोर्स ने जेसीबी के माध्यम से बस के नीचे फंसी एक महिला को निकाला लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला ने दम तोड़ दिया। बस में सवार यात्री किट्टू का कहना है कि बस चालक की रफ्तार सामान्य से थोड़ी अधिक थी। उसके अनुसार बस में 22 यात्री थे जबकि 3 रसोईये और एक चालक था। घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय नागरिकों ने एसडीएम कीर्तिनगर और पुलिस फोर्स के देर से पहुंचने पर आक्रोश जताया।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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