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भाजपा में शामिल होंगे कैप्टन अमरिंदर सिंह!

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले हफ़्ते भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं । इसके साथ ही अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भी भाजपा में विलय कर सकते हैं । पिछले हफ़्ते कैप्टन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।ऐसे में यह मान जा रहा है की भाजपा में कैप्टन और उनकी पार्टी दोनों का विलय तय है ।इस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी स्पाइनल सर्जरी के लिए लंदन में हैं।

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों की मने तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के लंदन जाने से पहले ही उनकी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का बीजेपी में विलय तय हो गया था। उनके लौटने के बाद इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी।

कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी नई पार्टी का गठन किया था। कैप्टन ने 20 फरवरी को पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया था। पंजाब लोक कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी। इस गठबंधन में अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस को 37 सीटें मिली थी, लेकिन उनकी पार्टी को चुनाव में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई।

बीजेपी को भी चुनाव में महज 2 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। पंजाब लोक कांग्रेस के मुखिया अमरिंदर सिंह अपने गढ़ पटियाला से खुद चुनाव हार गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को अमरिंदर सिंह की सर्जरी के बाद उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए फोन किया था। उन्होंने कहा था, “यह कैप्टन साहब का हालचाल जानने के लिए सिर्फ एक कॉल था।” वैसे प्रधानमंत्री मोदी कऔर कैप्टन के रिश्ते जगजाहिर हैं पहले भी। कांग्रेस ने कैप्टनअमरिंदर सिंह पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैप्टन अमरिंदर सिंह से रिश्ते जगजाहिर हैं। जब कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में थे तब भी वह पीएम मोदी से मिलते रहते थे। जब कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया था, तब पार्टी ने आरोप लगाया था कि अमरिंदर सिंह की बीजेपी से मिलीभगत है।

नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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