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ED निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर फिर SC पहुंचा केंद्र

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Center reaches SC again to extend tenure of ED director Sanjay Mishra

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस मामले में अब कल 27 जुलाई को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, ईडी निदेशक के तौर पर एसके मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई को खत्म हो जाएगा।

गौरतलब है, इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध ठहराया था। अदालत ने उन्हें अपने लंबित काम निपटाने के लिए 31 जुलाई 2023 तक का समय दिया।

साथ ही न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ईडी निदेशक के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन को सही ठहराया था।

2018 में निदेशक के रूप में हुई थी नियुक्ति

गौरतलब है कि संजय कुमार मिश्रा को नवंबर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय के पूर्णकालिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। संजय मिश्रा भारतीय राजस्व सेवा (IRS) कैडर के 1984 बैच के अधिकारी हैं। उन्हें पहले जांच एजेंसी में प्रमुख विशेष निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। ईडी में नियुक्ति से पहले संजय मिश्रा दिल्ली में आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त के रूप में कार्यरत थे।

2020 में मिला था पहला कार्यकाल विस्तार

केंद्र सरकार ने सबसे पहले 2020 में उनको एक साल का सेवा विस्तार दिया था। तब उन्हें 18 नवंबर, 2021 तक एक साल के लिए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। फिर 2021 में कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले ही उन्हें दूसरी बार सेवा विस्तार दिया गया।

फिर 17 नवंबर 2022 को संजय कुमार मिश्रा का दूसरा सेवा विस्तार खत्म होने से पहले ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक वर्ष (18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक) के लिए तीसरे सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी। सरकार पिछले साल एक अध्यादेश लेकर आई थी, जिसमें यह अनुमति दी गई थी कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।

सेवा विस्तार को दी गई थी चुनौती

प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इनमें उनके सेवा विस्तार को अवैध ठहराया गया था।

पिछली सुनवाई को शीर्ष कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस साल आठ मई को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।

आठ मई को हुई सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को अवगत कराया कि एसके मिश्रा पुलिस महानिदेशक नहीं हैं, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए संसद ने सचेत रूप से फैसला लिया।

मेहता ने अदालत को यह भी बताया था कि एसके मिश्रा नवंबर से सेवानिवृत्त होंगे। दरअसल, कोर्ट 17 नवंबर 2022 को केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा का तीसरा कार्यकाल बढ़ाया था।

आठ मई की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए तीसरे सेवा विस्तार पर केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह इतने जरूरी हैं कि सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद उनका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने पूछा था क्या कोई व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है? अदालत ने 2021 के अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की उम्र के बाद प्रवर्तन निदेशक के पद पर रहने वाले अधिकारियों का कोई भी सेवा विस्तार कम अवधि का होना चाहिए। यह भी स्पष्ट किया था कि संजय मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए थे सवाल

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मिश्रा का विस्तार प्रशासनिक कारणों से आवश्यक था और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के भारत के मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण था।

इस पर पीठ ने सवालों की झड़ी लगाते हुए पूछा था कि क्या ईडी में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो उनका काम कर सके? क्या एक व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है? आप के मुताबिक ईडी में कोई और सक्षम व्यक्ति है ही नहीं? 2023 के बाद इस पद का क्या होगा जब मिश्रा सेवानिवृत्त हो जाएंगे?

यह था केंद्र का तर्क

तुषार मेहता ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग पर भारत के कानून की अगली सहकर्मी समीक्षा 2023 में होनी है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत की रेटिंग नीचे नहीं जाए, प्रवर्तन निदेशालय में नेतृत्व की निरंतरता महत्वपूर्ण है। मिश्रा लगातार कार्यबल से बात कर रहे हैं और इस काम के लिए वह सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। कोई भी बेहद जरूरी नहीं है लेकिन ऐसे मामलों में निरंतरता जरूरी है।

कोर्ट ने लगा दी थी रोक

कोर्ट ने अपने निर्देश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को 16 नवंबर 2021 से आगे बढ़ाने से रोक दिया था। केंद्र की दलील थी कि यह विस्तार केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में किए गए संशोधनों के तहत है, जो ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देता है।

सेवा विस्तार वाले कानूनी बदलाव सही

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी व सीबीआई प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए किए संशोधनों को सही ठहराया है। कहा, कानून पर न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है। इन अधिकारियों की नियुक्तियां उच्चस्तरीय समिति करती है। इन संशोधनों को बरकरार रखा जा सकता है, इसमें पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं। पीठ ने कहा, जनहित व लिखित कारण के साथ उच्चस्तरीय अधिकारियों को सेवा विस्तार दिया जा सकता है।

जस्टिस गवई ने आदेश में लिखा, हालांकि किसी फैसले का आधार हटाया जा सकता है, विधायिका उस विशिष्ट परमादेश को रद्द नहीं कर सकती है, जो आगे के विस्तार पर रोक लगाता है। यह न्यायिक अधिनियम के खिलाफ अपील में बैठने के समान होगा। लिहाजा, एसके मिश्रा को एक-एक वर्ष की अवधि विस्तार के 17 नवंबर, 2021 व 17 नवंबर, 2022 के आदेश गैरकानूनी माने जाते हैं।

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संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज

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नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।

संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।

बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”

घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।

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