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उत्तराखंड

मदमहेश्वर की डोली हिमालय के लिये रवाना

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पंच केदारों में द्वितीय केदार, विश्व प्रसिद्ध भगवान मद्महेश्वर, चल विग्रह उत्सव डोली, गद्दीस्थल ओंकारेश्र मन्दिर ऊखीमठ

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पंच केदारों में द्वितीय केदार, विश्व प्रसिद्ध भगवान मद्महेश्वर, चल विग्रह उत्सव डोली, गद्दीस्थल ओंकारेश्र मन्दिर ऊखीमठ

Chal Vigrah Utsav Doli

रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व प्रसिद्ध भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्र मन्दिर ऊखीमठ से वैदिक मंत्रोच्चारण, देवी-देवताओं के निशाणों, श्रद्धालुओं के जयकारों, महिलाओं के मांगल गीतों व स्थानीय वाद्ययत्रों की मधुर धुनों के साथ अपने मदमहेश्वर धाम के लिये रवाना हो गयी है। डोली आगमन पर श्रद्धालुओं ने जौ, पुष्प-अश्रत्रों से डोली का भव्य स्वागत कर चल विग्रह उत्सव डोली को लाल-पीले वस्त्र अर्पण कर मन्नतें मांगी। अब बीस मई को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के छह माह के लिये खोल दिये जाएंगे।

विदित हो कि द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को 16 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मंडप में विराजमान किया गया था तथा स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा दशकां से चली आ रही परम्परानुसार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्ति को नये अनाज का भोग अर्पण कर विश्व कल्याण व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की गयी थी। बुधवार को मन्दिर के वेदपाठियों, विद्धान आचार्यो व गांडार के हक हकूकधारियों ने भगवान मद्महेश्वर की मूर्तियों का अभिषेक कर आरती उतारी तथा चल विग्रह उत्सव मूर्ति को परम्परानुसार उत्सव डोली में विराजमान कर फूल मालाओं, जौ की हरियाली व लाल पीले वस्त्रों से विशेष श्रृंगार किया गया। रावल भीमाशंकर लिंग द्वारा मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग को पगडी पहनाकर छ माह मद्महेश्वर धाम में पूजा करने का संकल्प दिया गया।

बीस मई को खुलेंगे द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कई देवी-देवताओं के निशाणों के साथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर की तीन परिक्रमा कर हिमालय के लिए रवाना हुई। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ने डंगवाडी़, ब्राह्मणखोली, मंगोलचारी, फापंज, मनसूना, बुरुवा, राऊलैंक, ऊनियाणा यात्रा पडा़वो पर श्रद्धालओं को आशीष दिया और प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंची। राऊलैंक पहुँचने पर विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा डोली की अगुवाई की गई। 19 मई को द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली रांसी से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए सीमान्त गांव व मद्महेश्वर यात्रा के अहम पडा़व गांडार गांव पहुंचेगी। 20 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गांडार गांव सें प्रस्थान कर अपने धाम मद्महेश्वर पहुंचेगी तथा धाम पहुंचने पर लग्नानुसार द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये जायेंगे।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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