उत्तराखंड
एक अदद रस्सी के सहारे जिंदगी की डोर
देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है। यात्रा को लेकर इस बार उत्साह का माहौल है। आपदा का खौफ तीर्थ यात्रियों के मन से गायब हो चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार चारधाम यात्रा अपने पुराने दिनों में लौट आएगी। इस बार उम्मीद जतायी जा रही है कि चारधाम में 20 लाख से भी अधिक यात्री व सैलानी पहुंचेगे। बदरीनाथ केदारनाथ समिति को भी इस बार की यात्रा से खासी उम्मीद है।
गांवों में तीन साल बाद भी नहीं बदले हालात
भले ही आपदा को आए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी गांवों के हालात में नहीं बदले हैं। आपदा प्रभावित गांवों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। सरकार ने भी इन गांवों में आपदा के समय कई घोषणाएं कीं लेकिन वक्त के साथ ही वादे भी भुला दिये गये। उत्तरकाशी में आपदा को आए चार साल हो चुके हैं, लेकिन यहां भी यही आलम है। गांवों में रास्ते व सड़कें जो टूट गई थीं, उनकी मरम्मत भी नहीं हो पायी है। जबकि नदियों पर बनने वाले पुल व झूला पुल भी अब तक निर्मित नहीं हो पाएं हैं।
ट्राली के सहारे होती है नदी पार
उत्तरकाशी के डिडसारी, नलूणा, चामकोट, अठाली समेत आधा दर्जन से अधिक क्षेत्रों में लोग आज भी ट्राली के सहारे आवागमन करते हैं। कहीं भागीरथी है, तो कहीं अस्सी गंगा तो कहीं यमुना नदी। 2012 और 2013 की बाढ़ में डेढ दर्जन पुल बह गए, लेकिन बने अभी चार पुल से अधिक नहीं। लिहाजा लेगों को आज भी बाबा आदम के जमाने की ट्रालियों से आवागमन करना होता है।
पूरे जिले में एक मात्र डिडसारी में ऐसी ट्राली है जो स्वचालित है, बाकी, करीब आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर सामान ढोने वाली ट्रालियां लगी हैं। इन्हें हर आने-जाने वाले को अपने हाथ से खींचना होता है। इसमें भी थोड़ी सी चूक आप पर भारी पड़ सकती है। चेन पुली पर दर्जनों लोग अपनी उंगलियां कटा चुके हैं। पुल कब बनेंगे, इसका कोई पता नहीं। लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी होती है स्कूली बच्चों को, जब तक बच्चे वापस घर न पहुंचे अभिभावकों की जान भी अटकी रहती है। बाबा आदम के जमाने की इन ट्रालियों में न जाने कब कहां क्या हो जाए?
उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।
कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।
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