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उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में नहीं हो रहा यात्रा नियमों का पालन

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चारधाम यात्रा उत्‍तराखण्‍ड, यात्रा नियमों का पालन, बिना जूते और ड्रेसकोड, चारधाम यात्रा में सुरक्षा

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चारधाम यात्रा उत्‍तराखण्‍ड, यात्रा नियमों का पालन, बिना जूते और ड्रेसकोड, चारधाम यात्रा में सुरक्षा

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परिवहन विभाग बना मूक दर्शक

ऋषिकेश। सुरक्षित चारधाम यात्रा संचालन के लिए संभागीय परिवहन विभाग के निमय और कानून सिर्फ फाइलों में ही कैद होकर रह गए हैं। यात्रा पर जाने वाले वाहनों के चालक-परिचालक निमयों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। यात्रा में जिन वाहनों को भेजा जा रहा है उनका न तो फिटनेस टेस्ट हो रहा है, न ही उनमें प्राथमिक उपचार सामग्री है। सोमवार को यात्रा पर निकली एक बस में तो अगले पहिये में एक नट ही नहीं लगा था। वाहन चालक बिना जूते और ड्रेसकोड के यात्रियों को यात्रा पर ले जा रहे हैं। कुल मिलाकर महकमे की लापरवाही के  कारण निजी ट्रांसपोर्ट कंपनियां यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। चारधाम यात्रा में सुरक्षा के मद्देनजर संभागीय परिवहन विभाग ने यात्रा से पूर्व कई नियम बनाए थे। लेकिन, नियमों का किस तरह मखौल उड़ाया जा रहा है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यात्रा में जाने वाले वाहनों के नटबोल्ट तक चेक नहीं किए जा रहे हैं।

बस चालकों की मनमानी से यात्रियों की जान को खतरा

वाहन चालकों को सख्त निर्देश होने के बाद भी चालक बिना जूतों और ड्रेस कोड के ही चारधाम यात्रा पर यात्रियों को ले जा रहे हैं। वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स तो लगे हैं, लेकिन उनमें किसी भी प्रकार की दवा, बैंडेड, पट्टी तक नहीं है। चारधाम यात्रा हेतु वाहन चालकों हेतु जो नियम बनाये गये हैं वो निम्न प्रकार हैंः- गाड़ी पर रिफ्लेक्टर होना अनिवार्य; चालक-परिचालक का ड्रेस आवश्यक; गाड़ी में फर्स्ट एड बॉक्स होना अनिवार्य; चालक का जूता पहनना आवश्यक; गाड़ी के अगले टायर नए होने अनिवार्य; ओवर लोडिंग नहीं होनी चाहिए; यात्रियों से निर्धारित किराए से अधिक नहीं वसूला जाए; वाहन चलाते वक्त मोबाइल का प्रयोग वर्जित; वाहन में म्यूजिक सिस्टम और धूम्रपान पर प्रतिबंध।

उपजिलाधिकारी विनीत तोमर का कहना है कि वाहन चालक और परिचालक निमयों का पालन नहीं कर रहे हैं तो यह बेहद गंभीर बात है। इस संबंध में एआरटीओ और स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया जाएगा कि संभावित हादसों को रोकने के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उनका सख्ती से पालन कराया जाएगा। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी, डॉ. अनीता चमोला ने बताया कि विभाग प्रत्येक दिन संभावित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बनाए गए नियमों की मॉनिटरिंग कर रहा है। चारधाम यात्रा में बसों की कमी के चलते बाहर से कुछ बसें मंगवाई गई हैं। हो सकता है जानकारी के आभाव में उक्त वाहन चालक नियमों की अनदेखी कर रहे हों। सभी वाहन कंपनियों को नियमों का पालन करने के निर्देश दिए जाएंगे। चेकिंग अभियान भी तेज किया जाएगा।

चारधाम यात्रा चरम पर है। अभी तक एक लाख 84 हजार 158 श्रद्धालु बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन कर चुके हैं। सोमवार को 140 वाहनों से 4100 यात्री चारधाम के लिए रवाना हुए। चारधाम यात्रियों का फोटोमीट्रिक पंजीकरण करने वाली त्रिलोक सिक्योरिटी सिस्टम कंपनी के प्रबंधक प्रेम अनंत ने बताया कि सोमवार को पंजीकरण कराने वालों की काफी भीड़ रही। शाम तक 10 हजार 232 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया। अब तक फोटोमीट्रिक पंजीकरण कराने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख 94 हजार 390 पहुंच चुकी है। संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति अध्यक्ष कुंवर सिंह रावत ने बताया कि सोमवार को 140 वाहनों से 4100 यात्री चारधाम यात्रा को रवाना हुए। जिनमें से केदारनाथ, बदरीनाथ धाम 19, बदरीनाथ धाम नौ और चारोंधामों के लिए 129 बसें रवाना हुईं।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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