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संभल जाएं, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब जलवायु परिवर्तन छीन लेगा मुंह से रोटी का निवाला

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Climate Change India Wheat Rice Farmer Agriculture University of Exeter Richard Betts Food

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क्लाइमेट चेंज का दुष्प्रभाव भारत समेत दुनिया भर के तमाम देशों की खाद्य सुरक्षा पर पड़ना तय है। यह जानकारी ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर ने अपनी ताजा रिसर्च में दी है। यह रिपोर्ट एशिया, अफ्रीका और साउथ अमेरिका के 122 विकासशील और अल्प विकसित देशों पर केंद्रित है।
इस शोध में एक्सटर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड बेट्स ने आगाह किया है कि, मौसम में आने वाले बदलावों की वजह से भारी बारिश और जबर्दस्त सूखों का भयानक दौर आएगा। इसका दुनिया के विभिन्न हिस्सों पर अलग-असर पड़ेगा। क्लाइमेट चेंज का सीधा असर भोजन की उपलब्धता पर देखा जा सकेगा।
रिचर्ड बेट्स का कहना था कि अगर धरती के तापमान में बढ़ोतरी 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रहती है तो खाद्य सुरक्षा बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होगी लेकिन अगर दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा तो भारत समेत लगभग 76 पर्सेंट विकासशील देश इससे प्रभावित होंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी स्थिति में गंगा का बहाव दोगुना हो जाएगा। इस स्थिति में गंगा के मैदानी इलाके भयानक बाढ़ से ग्रस्त रहेंगे। बाढ़ और बार-बार पड़ने वाले सूखे के लंबे दौर से सबसे ज्यादा नुकसान खेती को होगा। सूखे से भारत का दक्षिणी भाग अधिक प्रभावित होने की आशंका है।
दुनिया भर में सूखे का सबसे ज्यादा असर दक्षिणी अमेरिका और दक्षिणी अफ्रीका में देखा जा सकेगा। दक्षिण अमेरिका की विशाल नदी अमेजन का बहाव 25 फीसदी तक कम होने की आंशका जताई जा रही है।जानकारों का कहना है कि मौसम में बदलाव से भोजन की उपलब्धता और उस तक लोगों की पहुंच प्रभावित होगी। खाद्यान्न की उपज कम हुई तो बाजार में उसकी कीमत ज्यादा रहेगी। इस लिहाज से क्लाइमेट चेंज की मार सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ने वाली है क्योंकि सीमित आमदनी में वे मंहगा भोजन नहीं खरीद पाएंगे। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर भी पड़ेगा।
वेबसाइट डाउन टु अर्थ ने सेंट्रल रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर के पूर्व निदेशक बी. वेंकटेश्वरलू के हवाले से लिखा है कि हर साल क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत की खेती पर 4 से 9 फीसदी का असर पड़ रहा है। 2030 तक चावल और गेहूं की उपज में 6 से 10 पर्सेंट कमी दिखने लगेगी। क्लाइमेट चेंज से भारतीय कृषि को बचाने के लिए उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए हैं जैसे, मौसम के बदलाव से बेअसर रहनेवाली प्रजातियों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना। पानी का किफायत से प्रयोग करना आदि।

नेशनल

गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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