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उत्तराखंड

उत्तराखंडः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया दून हाट का शुभारंभ, कही ये बड़ी बात

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को आईटी पार्क सहस्त्रधारा में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग द्वारा स्थानीय उत्पादों के साथ-साथ हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों के विपणन प्रोत्साहन के लिए दून हाट का शुभारम्भ किया, उन्होंने कहा कि नाबार्ड के सहयोग से निर्मित दून हाट दिल्ली हाट की तर्ज पर एक ऐसे स्थान के रूप में विकसित होगा जहाँ देश-विदेश के पर्यटकों को राज्य के स्थानीय उत्पादों के साथ-साथ संस्कृति, कला एवं विशिष्टताओं से परिचित होने का मौका मिलेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि दून हाट की स्थापना से राज्य की परंपरागत विधा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। दून हाट प्रदेश में संस्कृति ग्राम की परिकल्पना को साकार करने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटक उत्तराखण्ड की खासियत तथा उत्पादों के बारे में सवाल करते हैं, इस हाट की स्थापना से उन्हें स्थानीय उत्पादों की उपलब्धता एक ही स्थान पर हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अन्य और स्थानों पर हाट की स्थापना से हमारे परंपरागत शिल्प एवं उत्पादों को बेहतर साधन और स्थान उपलब्ध होने के साथ ही हमारे शिल्पियों को भी पहचान मिलेगी। उन्होंने इस प्रकार के प्रयोगों के लिए राजस्थान में स्थापित शिल्प ग्राम का भी उदाहरण दिया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश में परम्परागत शिल्प के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रोत्साहन हेतु पारम्परिक कला, संस्कृति की परम्परा को बढ़ावा देने एवं शिल्पियों की कल्पनाशीलता, योग्यता तथा कारीगरी को प्रोत्साहित करने एवं शिल्प क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले 5 शिल्पियों को ‘‘उत्तराखण्ड शिल्प रत्न पुरस्कार’’ योजना के अंतर्गत पुरस्कार स्वरूप एक-एक लाख की धनराशि, अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।

वर्ष 2018 हेतु जिन सिद्धहस्तशिल्पियों को शिल्प रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया उनमें बीना पुण्डीर मुनिकीरेती, ऊषा नकोटी, चम्बा, टिहरी गढ़वाल, किशन राम बेरीनाग, पिथौरागढ़, भुवन चन्द्र शाह रानीखेत, अल्मोड़ा, ललिता प्रसाद देवलधार, बागेश्वर शामिल हैं।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने दून हाट में स्थापित विभिन्न समूहों एवं संस्थाओं द्वारा स्थापित स्टालों का निरीक्षण कर उनके प्रयासों की सराहना की। प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने कहा कि उत्तराखण्ड के अतिरिक्त अन्य प्रान्तों के उत्पादों के विपणन के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किये जाने हेतु दून हाट का वार्षिक कैलेण्डर तैयार किया जा रहा है, जिसके माध्यम से देश विदेश के पर्यटक राज्य के स्थानीय उत्पादों के साथ-साथ अन्य प्रान्तों द्वारा विकसित किये गए उत्पादों, कला एवं विशिष्टताओं से परिचित हो सकेंगे दूर हाट को एक मोस्ट विजिटिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।

स्थानीय उत्पादों एवं शिल्प को राज्य सरकार द्वारा बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से जनपद स्तर पर भीमतला (चमोली), विण(पिथौरागढ़) एवं काशीपुर (ऊधम सिंह नगर) में भी नावार्ड के सहयोग से रूरल हाट स्थापित किए जा रहे हैं।

उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद

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हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।

50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध

उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।

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