Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

दिल्ली में वायु प्रदूषण से हालत खराब, दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला 50% कर्मचारी घर से करेंगे काम

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से हालात खराब हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने सरकारी दफ़्तरो में वर्क फ्रॉम होम की नीति लागू करने का फैसला लिया है। जानकारी के अनुसार, इस फैसले के तहत दिल्ली सरकार के 50% कर्मचारी घर से काम करेंगे। इसके क्रियान्वय के लिए सचिवालय में आज दोपहर 1 बजे अधिकारियों के साथ बैठक होगी।

सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

दरअसल, पूरे दिल्‍ली-एनसीआर में युद्ध स्‍तर पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इसके बावजूद भी प्रदूषण का स्‍तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के माध्‍यम से राजधानी के सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी का ऐलान किया।

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 के पार जाने के बाद सोमवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण IV को लागू करने का निर्देश दिया था, जो ‘गंभीर+’ श्रेणी में आता है। इसके तहत कई कड़े कदम उठाए जाएंगे, जिससे उम्मीद है कि प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आएगी और जनता को राहत मिल सकती।

उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख

Published

on

Loading

देहरादून। उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा कृषि भूमि खरीदने और उसका गैर-कानूनी उपयोग करने के मामलों में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में भू-कानून के उल्लंघन के 430 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर कार्रवाई तेज कर दी गई है. सबसे अधिक मामले देहरादून, नैनीताल और चमोली जिलों में दर्ज हुए हैं, जहां बाहरी लोगों ने जमीन खरीदकर कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग किया है.

भू-कानून के उल्लंघन के सबसे अधिक 196 मामले देहरादून जिले में सामने आए हैं. पछवादून से लेकर मसूरी, रानीपोखरी, मालदेवता, शिमला बाईपास, भोगपुर और सहस्त्रधारा क्षेत्रों में बाहरी लोगों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी. इन जमीनों का उपयोग कृषि के बजाय होटलों, रिजॉर्ट्स और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया. जिला प्रशासन ने इन मामलों में एसडीएम कोर्ट में केस दर्ज कर दिए हैं और संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं.

समाज और पर्यावरण पर असर

बाहरी लोगों द्वारा कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग न केवल भू-कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय समाज और पर्यावरण के लिए भी चिंता का विषय है. पहाड़ी क्षेत्रों में रिजॉर्ट्स और होटलों के निर्माण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इसके अलावा, स्थानीय निवासियों की आजीविका और पारंपरिक खेती पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.राज्य सरकार की यह कार्रवाई न केवल भू-कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

 

 

Continue Reading

Trending