Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

कोरोना वैक्सीन बनाने के बेहद करीब पहुंचा ये देश, पूरी दुनिया देख रही उम्मीद भरी निगाहों से

Published

on

Loading

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया की निगाहें अब एक बार फिर यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड पर टिक गई हैं। दरअसल, यूनिवर्सिटी की तरफ से तैयार की जा रही वैक्सीन का मानव ट्रायल का पहल चरण सफल होने के बाद अब इसे दूसरे लेवल पर ले जाने की तैयारी की जा रही है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने शुक्रवार को कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन पर शुरुआती कामयाबी की पुष्टि करते हुए कहा कि वे मानव स्तर पर टेस्टिंग के दूसरे लेवल में जा रहे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक दूसरे चरण के परीक्षण के लिए 10,000 से अधिक लोगों की भर्ती शुरू करते हुए अगले स्तर पर जा रहे हैं।

बता दें कि वैक्सीन पर परीक्षण का पहला चरण पिछले महीने शुरू हुआ था, जिसमें 55 साल से कम आयु के 1,000 स्वस्थ व्यस्कों और स्वयंसेवकों पर ट्रायल किया गया था। अब उनके इम्यून सिस्टम पर पड़ने वाले असर को देखने के लिए 70 साल से अधिक और 5 से 12 साल के बच्चों समेत 10,200 से अधिक लोगों को अध्ययन के लिए नामांकित किया जाएगा।

एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि ChAdOx1 nCoV-19 नाम के वैक्सीन ने बंदरों के साथ छोटे से अध्ययन में कुछ आशाजनक परिणाम दिखाया है।

यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिलबर्ट ने कहा, ‘COVID-19 वैक्सीन ट्रायल टीम ChAdOx1 nCoV-19 की सुरक्षा और इम्युनोजेनेसिटी और वैक्सीन प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।’

उन्होंने कहा कि हम 55 साल से अधिक उम्र के लोगों से पहले से ही बहुत रुचि रखते हैं, जो पहले चरण के रिसर्च में हिस्सा लेने के योग्य नहीं थे, और अब हम टीकाकरण जारी रखने के लिए वृद्ध आयु समूहों को शामिल करने में सक्षम होंगे। हम देश के कई हिस्सों के साथ-साथ अधिक अध्ययन स्थलों को भी शामिल करेंगे।

ChAdOx1 nCoV-19 एक वायरस (ChAdOx1) से बना है, जो एक सामान्य कोल्ड वायरस (एडेनोवायरस) का कमजोर संस्करण है जो कि चिंपैजी में संक्रमण का कारण बनता है, जो आनुवांशिक रूप से ऐसा रहा है कि यह मनुष्यों में दोहराने के लिए असंभव है।

स्वयंसेवकों की इस नई टीम के साथ शोधकर्ता विभिन्न उम्र के लोगों में वैक्सीन के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि वृद्ध लोगों या बच्चों में इम्यून सिस्टम कितनी अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करती है। अध्ययन के तीसरे चरण में 18 साल से अधिक आयु के लोगों पर अध्ययन किया जाएगा कि यह उन पर किस तरह से काम करता है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

Published

on

Loading

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

Continue Reading

Trending