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जहां गंवाए थे दोनों पैर, दोबारा वहीँ मांगी पोस्टिंग, बोले, “जहां से नक्सली सोचना बंद करते हैं, वहां से शुरू करता हूँ”

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रायपुर। कभी-कभी हौसलों के आगे शारीरिक कमियां झुक जाती हैं। कुछ लोग शरीर से अपंग होने के बावजूद हौसले को अपना सहारा बना लेते हैं। ऐसे ही हौसले की मिसाल हैं एक व्यक्ति जिनका नाम है रामदास। सीआरपीएफ बटालियन के कोबरा कमांडर रामदास छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात थे। इस जवान ने नक्सली हमले में अपने दोनों पैर गंवा दिए, फिर भी हिम्मत नहीं हारी। अब रामदास दोबारा उसी इलाके में पोस्टिंग मांग रहे हैं और जंगलों में जाकर नक्सलियों को धुल चटाने के लिए तैयार हैं।

कोबरा कमांडर रामदास को जम्मू-कश्मीर से हटाकर छत्तीसगढ़ के जंगलों में तैनात किया गया था। 29 नवंबर 2016 को ये अपनी टीम के साथ नक्सली मूमेंट की सर्चिंग के लिए निकले थे। जवानों की टुकड़ी खाली हाथ अपने कैंप की तरफ वापस लौट रही थी। जिसमे रामदास सबसे आगे चल रहे थे। तभी सूखे पत्तों के नीचे लगा लैंड माईन ब्लास्ट हो गया। जिसके बाद जवान रामदास को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां रामदास की जान तो बच गई लेकिन उनके दोनों पैरों को काटना पड़ा था।

हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद जब जवान रामदास को होश आया तब उन्होंने देखा कि उनके दोनों पैर कट चुके है। 2 अप्रैल 2017 को उनको नई कृत्रिम (नकली) टांगे लगा दी गईं। डॉक्टरों का कहना था नए पैरों के साथ चलने में 4 महीने का समय लगेगा लेकिन रामदास की मेहनत से वो सिर्फ 1 महीने में उन टांगों से फुर्ती से चलने लगे।

ठीक होने के बाद जवान ने अपने बड़े अफसर से कहा, “मैं जिंदगी भर कोबरा बटालियन के साथ रहना चाहता हूं।” जवान रामदास ने कहा कि “वो नक्सलियों के दिमाग को पढ़ उन्हें विफल बनाने के लिए रणनीति बना सकते हैं।” इन बातों को सुन अफसर ने उन्हें वापस जंगलों में ही तैनात कर दिया।

IANS News

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।

इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।

इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

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