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उत्तराखंड

देहरादून जा रही शताब्दी ट्रेन के कोच में लगी आग, सभी यात्री सुरक्षित

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से देहरादून जा रही शताब्दी ट्रेन के एक कोच में शनिवार को आग लग गई। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार हादसा करीब 12:00 बजे के आसपास रायवाला व कांसरो के बीच हुआ। राहत की बात ये रही कि इस घटना में कोई भी यात्री घायल नहीं हुआ। आग ट्रेन के सी-4 कंपार्टमेंट में लगी थी। इस कोच में 35 लोग सवार थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शताब्दी एक्सप्रेस जब राजाजी टाइगर रिजर्व की कांसरो रेंज से होकर गुजर रही थी। तभी रेलगाड़ी के कोच में अचानक आग लग गई।

कोच में मौजूद यात्रियों ने इमरजेंसी चेन खींचकर लोको पायलट को सूचना दी। लोको पायलट में तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रेलगाड़ी को कंसरो रेंज के नजदीक ही रोक दिया।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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