कृपालु महाराज
भक्ति-धाम, मनगढ़ में 8000 छात्र-छात्राओं को बांटे खाना गर्म रखने वाले बर्तन
समाज के निर्धन व अभावग्रस्त वर्ग की दैनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये और उनके जीवन को व्यवस्थित रुप देने के लिए जगदगुरु कृपालु परिषद (जेकेपी) की अध्यक्षाओं द्वारा अथक प्रयास किये जा रहे हैं। वर्ष में अनेक बार अलग-अलग तरीक से तरह-तरह के वितरण कार्यक्रमों के माध्यम से वे उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहयोग प्रदान कर रही हैं।
अपने समाज सेवा के उद्येश्यों की पूर्ति करते हुये आज (8 अप्रैल 2018 को) एक और वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जो जेकेपी की आध्यक्षाओं के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। इस वितरण कार्यक्रम में जगदगुरु कृपालु परिषत की अध्यक्षाओं डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी एवं डॉ कृष्ण त्रिपाठी ने 19 विद्यालयों से आये 8000 छात्र-छाक्षाओं को भोजन गरम रखने वाला डिब्बा, कटोरी एवं मिठाई व बिस्कुट इत्यादि प्रदान किये।
आध्यात्म
जगद्गुरु कृपालु परिषद द्वारा वृन्दावन क्षेत्र में वास करने वाली विधवा व निराश्रित महिलाओं को दिए गए उपहार
वृन्दावन। जगद्गुरु कृपालु परिषद श्यामा श्याम धाम समिति के तत्वावधान में वृन्दावन में वास कर भजन कीर्तन करने वाली लगभग चार हजार विधवा व निराश्रित महिलाओं को उपहार प्रदान किए गए। इन उपहारों में उनके वस्त्र, शाल व अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं शामिल हैं।
बता दें कि जगद्गुरु कृपालु परिषद श्यामा श्याम धाम समिति के तत्वावधान में हर वर्ष ब्रह्मलीन जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर साधु भोज व निराश्रित महिलाओं को उपहार प्रदान किए जाते हैं।
इसी क्रम में पिछले दिनों भी वृन्दावन क्षेत्र के साधुओं को प्रेम मन्दिर में भोज के साथ साथ उपहार भी दिए गए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पधारे साधुओं को भोज के साथ साथ उपहार भी दिए गए थे।
साधू भोज कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरु कृपालु परिषद की चेयरपर्सन डॉ. विशाखा त्रिपाठी ने कहा कि इन धार्मिक आयोजनों का मार्ग निर्माण उनके पिता जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने किया था। आज उनकी बनाई हुई संस्था उनके पथ पर चलकर अपने दायित्वों का बाखूबी निर्वहन कर रही है।
इस अवसर जेकेपी श्यामाश्याम धाम समिति की अध्यक्षा डॉ श्यामा त्रिपाठी एवं अनुजा डॉ कृष्णा त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से कहा कि बड़ी दीदी के दिशा निर्देशन में हमारी संस्था को ब्रजवासियों की सेवा से आंनद अनुभूति होती है, बृजवासी स्वयं भगवान के स्वरूप होते है, और इनकी सेवा करने से अन्तःकरण शुध्द होता है। बताया गया कि करीब पांच हजार साधुओं को 15 प्रकार की दैनिक वस्तुएं दक्षिणा के साथ प्रदान की गई।
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