आध्यात्म
Diwali 2018: जानें शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें दीपावली पूजन
साल के सबसे मोस्ट अवेटेड त्यौहार दिवाली की सेलिब्रेशन शुरू हो चुकी है। हर तरफ दिवाली का उल्लास दिखाई पड़ रहा है। एक दूसरे को दिवाली पर गिफ्ट देने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। लेकिन, दिवाली का दिन है, लक्ष्मी जी का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। दिवाली कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को मनाया जाता हैं।
दीपावली पर विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन करने की परंपरा है। मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश पूजन, कुबेर पूजन और बही-खाता पूजन भी किया जाता है। आइए जानते हैं, पूजा का मुहूर्त समय और दीपावली पूजन विधि के बारे में –
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 6 नवम्बर 2018 रात 10:03 बजे।
अमावस्या तिथि समाप्त- 7 नवम्बर 2018 रात 9:32 बजे।
मुहूर्त समय –
प्रातः 8 बजे से 9:30 बजे तक।
प्रातः 10:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक।
दोपहर 1:30 बजे से सायंकाल 6 बजे तक।
सायंकाल 7:30 बजे से रात्रि 12:15 बजे तक।
स्थिर लग्न –
वृष सायंकाल 6:15 से रात्रि 8:05 तक।
सिंह रात्रि 12:45 से 02:50 तक।
वृश्चिक प्रातः 8:10 से 9:45 तक।
कुम्भ दोपहर 01:30 से 03:05 तक।
दीपावली पूजन मुहूर्त –
इस दिन पूरा दिन ही शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी समय पूजन कर सकते हैं। हालांकि प्रदोष काल से लेकर निशाकाल तक समय शुभ होता है। अमावस्या तिथि पर राहु काल का दोष नहीं होता।
लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते रहें – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
दीपावली पूजन विधि –
सबसे पहले मां लक्ष्मी और गणेशजी की प्रतिमाओं को चौकी पर रखें। ध्यान रहें कि उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहें और गणेशजी की प्रतिमा लक्ष्मीजी के बाएं ओर रहें। कलश को चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर उसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक होता है। घी का दीपक गणेश जी और तेल का दीपक लक्ष्मी जी के सामने रखें।
लक्ष्मी-गणेश के प्रतिमाओं से सुसज्जित चौकी के समक्ष एक और चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। रोली से स्वास्तिक एवं ॐ का चिह्न भी बनाएं। पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। इसके बाद पूजन करें।
आध्यात्म
आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
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