आध्यात्म
अनोखी कहानी : श्रीकृष्ण ने दिवाली से एक दिन पहले किया था नरकासुर का संहार
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ‘नरक चतुर्दशी’ पर्व मनाया जाता है, जिसे नरक चौदस, रूप चतुर्दशी, काल चतुर्दशी तथा छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और धर्मराज चित्रगुप्त का पूजन किया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन यमराज का पूजन करने तथा व्रत रखने से नरक की प्राप्ति नहीं होती। इस दिन यमराज से प्रार्थना की जाती है कि उनकी कृपा से हमें नरक के भय से मुक्ति मिले। इसी दिन रामभक्त हनुमान का भी जन्म हुआ था और इसी दिन वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगते हुए तीनों लोकों सहित बलि के शरीर को भी अपने तीन पगों में नाप लिया था।
नरक चतुर्दशी मनाए जाने के संबंध में मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने प्रागज्योतिषपुर के राजा नरकासुर नामक अधर्मी राक्षस का वध करके न केवल पृथ्वीवासियों को, बल्कि देवताओं को भी उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी।
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अपनी शक्ति के घमंड में चूर नरकासुर शक्ति का दुरुपयोग करते हुए स्त्रियों पर भी अत्याचार करता था और उसने 16000 मानव, देव एवं गंधर्व कन्याओं को बंदी बना रखा था। देवों और ऋषि-मुनियों के अनुरोध पर भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से नरकासुर का संहार किया था और उसके बंदीगृह से 16000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी।
नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में देवगण व पृथ्वीवासी बहुत आनंदित हुए और उन्होंने यह पर्व मनाया गया। माना जाता है कि तभी से इस पर्व को मनाए जाने की परम्परा शुरू हुई। धनतेरस, नरक चतुर्दशी तथा दिवाली के दिन दीपक जलाए जाने के संबंध में एक मान्यता यह भी है कि इन दिनों में वामन भगवान ने अपने तीन पगों में संपूर्ण पृथ्वी, पाताल लोक, ब्रह्मांड व महादानवीर दैत्यराज बलि के शरीर को नाप लिया था और इन तीन पगों की महत्ता के कारण ही लोग यम यातना से मुक्ति पाने के उद्देश्य से तीन दिनों तक दीपक जलाते हैं तथा सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करते हैं।
यह भी कहा जाता है कि बलि की दानवीरता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने बाद में पाताल लोक का शासन बलि को सौंपते हुए उसे आशीर्वाद दिया था कि उसकी याद में पृथ्वीवासी लगातार तीन दिन तक हर वर्ष उनके लिए दीपदान करेंगे।
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आध्यात्म
महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई
लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।
महापर्व 'छठ' पर हमरे ओर से आप सब माता-बहिन आ पूरा भोजपुरी समाज के लोगन के बहुत-बहुत मंगलकामना…
जय जय छठी मइया! pic.twitter.com/KR2lpcamdO
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 7, 2024
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