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उत्तर प्रदेश

बाढ़ में बहा सपनों का आशियाना तो 3 करोड़ रुपये से सीएम योगी ने पोछे आंसू

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लखनऊ| एक इंसान के लिए उसका घर केवल दीवारें नहीं, बल्कि सुख-दुख का साक्षी होता है, जहां वह परिवार के साथ बिताए लम्हों और यादों को अपने दिल में संजो कर रखता है। इंसान का घर ही ऐसा होता है, जो उसे हर एक खट्टे-मीठे पलों की याद दिलाता रहता है। वहीं जब बाढ़ का पानी उसके सपनों के आशियाना को बहा ले जाता है तो वह सिर्फ दीवारों को ही नहीं बल्कि उसकी खुशियां, आशाएं, महत्वाकांक्षाएं और भविष्य के सुनहरे सपनों को भी अपने साथ बहा ले जाता है। इससे वह इंसान कभी उबर नहीं पाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इंसान के इस दुख को बखूबी जानते और समझते हैं। यही वजह है कि सीएम योगी के निर्देश पर बाढ़ में अपना घर गंवाने वाले गरीबों को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध करायी जा रही है, ताकि वह फिर से अपने सपनों के आशियाने को खड़ा कर सकें। इसी के तहत 30 दिन में प्रदेश के दो हजार से अधिक आशियाना गंवाने वाले गरीबों के आंसुओं को पोछने के लिए तीन करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जारी की जा चुकी है।

बाढ़ के पानी से सबसे अधिक पीलीभीत में 867 मकान हुए क्षतिग्रस्त

राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप बाढ़ पीड़ितों को युद्धस्तर पर सहायता पहुंचायी जा रही है। वहीं सहायता धनराशि को 24 घंटे के अंदर पीड़ितों के खातों में क्रेडिट किया जा रहा है। इसी के तहत याेगी सरकार बाढ़ की चपेट में आने से अपना घर गंवाने वालों की मदद को आगे आयी है। सीएम योगी के निर्देश पर बाढ़ की चपेट में आने से अपना आशियाना गंवाने वाले 14 जिलों के 2316 पीड़ितों के सापेक्ष 2309 लोगों के खातों में 3,37,19,000 रुपये की धनराशि जारी की गयी है। वहीं 7 पीड़ितों को सहायता धनराशि जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। इनमें सबसे अधिक पीलीभीत में 867 मकान क्षतिग्रस्त हुए। योगी सरकार सभी को 42,58,000 रुपये की सहायता धनराशि जारी कर चुकी है। इसके बाद लखीमपुर खीरी में 593 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके सापेक्ष अब तक 588 क्षतिग्रस्त मकान के पीड़ितों को 80,77,500 रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है।

क्षतिग्रस्त 138 पक्के मकान को दिये एक करोड़ बासठ लाख रुपये

राहत आयुक्त ने बताया कि बाढ़ से 14 जिलों के 138 पक्के मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये। इसके सापेक्ष अब तक 135 क्षतिग्रस्त मकान के पीड़ितों को एक लाख 20 हजार प्रति क्षतिग्रस्त मकान के हिसाब से 1,62,00,000 रुपये की धनराशि जारी की गयी है। इसी तरह 14 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कच्चे मकान के पीड़ितों को एक लाख 20 हजार प्रति क्षतिग्रस्त मकान के हिसाब से 49,20,000 रुपये का मुआवजा दिया गया है। इसके अलावा 126 आंशिक क्षतिग्रस्त पक्के मकान के पीड़ितों को 6,500 रुपये प्रति आंशिक क्षतिग्रस्त मकान के हिसाब से 8,19,000 रुपये का मुआवजा दिया गया है। वहीं 964 आंशिक क्षतिग्रस्त कच्चे मकान के पीड़ितों को 4 हजार रुपये प्रति आंशिक क्षतिग्रस्त मकान के हिसाब से 38,56,000 रुपये का मुआवजा दिया गया। इतना ही नहीं बाढ़ की चपेट में नष्ट 962 झोपड़ियों के सापेक्ष 959 पीड़ितों को 8 हजार प्रति नष्ट झोपड़ी के हिसाब से 76,72,000 रुपये की आर्थिक सहायता की गयी है। इसके अलावा बाढ़ से क्षतिग्रस्त 85 पशुबाड़े के सापेक्ष 84 क्षतिग्रस्त पशुबाड़े के पीड़ितों को तीन हजार प्रति क्षतिग्रस्त पशुबाड़े के हिसाब से 2,52,000 रुपये की सहायता धनराशि जारी की गयी है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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