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अन्तर्राष्ट्रीय

लेबनान में एक साथ हजारों पेजरों में ब्लास्ट से आठ की मौत, 2700 से अधिक घायल, हमले के पीछे इजरायल का हाथ होने का शक

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नई दिल्ली। लेबनान में हिजबुल्लाह लड़ाकों द्वारा ले जाए जा रहे सैकड़ों पेजर मंगलवार को एक बड़े हमले में लगभग एक साथ फट गए। हिजबुल्लाह के गुर्गों पर लक्षित इजरायली हमले स्थानीय समयानुसार दोपहर 3:30 बजे वायरलेस डिवाइस में विस्फोट के साथ शुरू हुए और देशभर में धमाके हुए। देशभर में सैकड़ों पेजरों में एक साथ ब्लास्ट से आठ लोगों की मौत हो गई जबकि 2,700 से अधिक घायल हो गये जिनमें ज्यादातर हिजबुल्लाह सदस्य हैं। घायलों में 200 के लगभग की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।

सीएनएन की रिपोर्ट कहती है कि इस हमले के पीछे इजरायल है। इजरायल की खुफिया सेवा, मोसाद और इजरायली सेना ने मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। लेबनानी सरकार ने इस हमले की निंदा करते हुए इजरायल को इसका जिम्मेदार कहा है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री फिरास अबैद ने बताया कि 2,750 लोग विस्फोटों में घायल हो गए हैं। उनमें 200 की स्थित गंभीर बनी हुई है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, हिजबुल्लाह की सक्षम एजेंसियां ​​वर्तमान में एक साथ हुए इन विस्फोटों के कारणों का पता लगाने के लिए “व्यापक सुरक्षा और वैज्ञानिक जांच” कर रही हैं।

इजरायली बहुभाषी ऑनलाइन समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इजरायल ने रॉयटर्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पेजर विस्फोटों में हिजबुल्लाह का एक प्रमुख सदस्य हताहतों में से एक है। लेबनानी मीडिया के अनुसार, “इसके अलावा, उत्तर-पूर्वी लेबनान के बालबेक जिले में एक युवा लड़की की मौत हो गई।” यह भी बताया गया कि लेबनान में सैकड़ों पेजरों में विस्फोट होने से हिज़्बुल्लाह के शीर्ष नेता और उनके सलाहकार घायल हो गए।

 

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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय से जुड़ी मस्जिद की मीनारों को ढहाया गया, पुलिस की निगरानी में हुआ पूरा काम

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय से जुड़ी एक मस्जिद को तोड़ दिया गया है। अहमदी खुद को मुसलमान बताते हैं, लेकिन पाकिस्तान में उन्हें मुसलमान नहीं माना जाता है। अहमदी समुदाय की यह मस्जिद लाहौर से करीब 130 किलोमीटर दूर देपालपुर के ओकारा में बनी हुई थी।

जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) के पदाधिकारी आमिर महमूद ने बताया कि पंजाब पुलिस के 12 से अधिक पुलिसकर्मियों ने सुभान शाह में अहमदिया मस्जिद की मीनारों को ध्वस्त कर दिया और वहां लिखे शब्दों को भी हटा दिया।

उन्होंने बताया, “पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) की निगरानी में देपालपुर थाने से पुलिस की दो गाड़ियां आईं और अहमदी मस्जिद पर छापेमारी करके इलाके की घेराबंदी कर दी। इसके बाद मीनारों को ढहा दिया गया। उन्होंने सीमेंट का इस्तेमाल करते हुए वहां लिखे शब्दों को भी हटा दिया।” महमूद ने बताया कि यह मस्जिद 1984 से पहले बनी थी।

लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तारिक सलीम शेख ने पिछले वर्ष अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया था कि 1984 से पहले बनी अहमदी मस्जिदों की संरचनाओं में किसी तरह की छेड़छाड़ की आवश्यकता नहीं है।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “हमें देपालपुर में अहमदिया मस्जिद की मीनारों के खिलाफ शिकायत मिली थी। हमने स्थानीय अहमदिया लोगों को बुलाया और उनसे मीनारों को गिराने के लिए कहा क्योंकि वे मुस्लिम मस्जिदों के समान हैं। उनके इनकार करने पर पुलिस ने उन्हें गिरा दिया।’ महमूद ने बताया कि पिछले वर्ष पाकिस्तान में अहमदिया लोगों की कम से कम 42 मस्जिदों पर हमला हुआ था।

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