ऑफ़बीट
जानिए इन कानूनी अधिकारों को, बच जाएंगे बिन बुलाए मुसीबतों से
कानून को लेकर अक्सर हम भारतीय लापरवाह टाइप के होते हैं। अपने कानून की बेसिक समझ तो छोड़िए हमें अपने अधिकार तक मालूम नहीं होते। जिसका खामियाजा अक्सर हमें भुगतना पड़ता है। कानूनी अधिकारों की जानकारी के अभाव में अक्सर बिन बुलाई मुसीबत हमारे गले पड़ जाती है तब हमें पछतावा होता है। खैर, आज हम आपको कुछ ऐसे ही कानूनों और अधिकारों के विषय मे जानकारी देने जा रहे हैं जिससे आप अनचाहे झमेलों में पड़ने से साफ बच जाएंगे।
ड्राइविंग करते समय यदि आपके 100ML ब्लड में अल्कोहल का लेवल 30mg से ज्यादा मिलता है तो पुलिस आपको मोटर वाहन एक्ट 1988 सेक्शन 185, 202 के तहत बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।
पुलिस किसी भी महिला को शाम 6:00 बजे के बाद और सुबह 6:00 बजे से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती। आपराधिक प्रक्रिया संहिता सेक्शन 46 के तहत भारत की हर महिला को यह अधिकार है।
भारतीय दंड संहिता, 166A के तहत पुलिस ऑफिसर FIR लिखने से मना नहीं कर सकता। यदि वह ऐसा करता है तो उन्हें 6 महीने से लेकर 1 साल तक की जेल हो सकती है।
भारतीय सरिउस अधिनियम 1887 के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह है भारत के किसी भी होटल में चाहे वह फाइव स्टार ही क्यों ना हो, फ्री में पानी पी सकता है और वाशरूम का इस्तेमाल कर सकता है। यदि कोई भी होटल मालिक आपको ऐसा करने से रोकता है तो आप उसके खिलाफ लीगल एक्शन ले सकते हैं।
भारतीय दंड संहिता व्यभिचार धारा 498 के तहत कोई भी शादीशुदा व्यक्ति किसी अविवाहित लड़कि या विधवा महिला से उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा।
यदि कोई वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्जी से लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। तो घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत यह गैरकानूनी नहीं होगा। और इन दोनों से पैदा होने वाली संतान भी गैरकानूनी नहीं होगी। इसके अलावा संतान को अपने माता पिता की संपत्ति में हक भी मिलेगा।
पुलिस एक्ट 1861 के तहत कोई भी पुलिस अधिकारी हमेशा ड्यूटी पर रहता है चाहे उसने यूनिफार्म पहनी हो या नहीं। यदि कोई व्यक्ति उस अधिकारी से कोई शिकायत करता है तो वह यह नहीं कह सकता कि वह ड्यूटी पर नहीं है और उसकी मदद नहीं कर सकता। क्योंकि वह हमेशा ड्यूटी पर रहता है।
टेक्स्ट उल्लंघन के मामले में कर वसूल अधिकारी को आयकर अधिनियम 1961 के तहत आपको गिरफ्तार करने का अधिकार है। लेकिन गिरफ्तार करने से पहले उसे आप को नोटिस भेजना पड़ेगा। केवल टैक्स कमिश्नर यह फैसला करता है कि आप को कितनी देर तक हिरासत में रखना है।
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-13 के तहत कोई भी पति या पत्नी कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे सकता है। यदि उसके पास निम्न कारण हैं तो शादी के बाहर शारीरिक रिश्ता बनाना, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, नपुंसकता, बिना बताए छोड़ कर जाना, हिंदू धर्म छोड़कर कोई और धर्म अपनाना, पागलपन, लाइलाज बीमारी, वैराग्य लेने और 7 साल तक कोई अता-पता नहीं होने के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 में वाहन चालकों को हेलमेट लगाने का प्रावधान है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 128 में बाइक पर दो व्यक्तियों का बैठने का प्रावधान है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस के द्वारा गाड़ी या मोटरसाइकिल की चाबी निकालना बिल्कुल ही गैर कानूनी है। इसके लिए आप चाहे तो उस कॉन्स्टेबल या अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करवा सकते हैं।
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के तहत केवल महिला पुलिसकर्मी ही महिलाओं को गिरफ्तार करके थाने में ला सकती हैं। कोई भी पुरुष पुलिसकर्मी किसी भी महिला को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं रखता है। इतना ही नहीं महिलाएं शाम के 6:00 से 6:00 बजे के बीच पुलिस स्टेशन जाने से मना कर सकती है। ये गंभीर अपराध के मामले में मजिस्ट्रेट से लिखित आदेश प्राप्त होने पर ही एक पुरुष पुलिसकर्मी किसी भी महिला को गिरफ्तार कर सकता है।
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि यदि आपका गैस सिलेंडर खाना बनाते समय फट जाए तो आप जान और माल की भरपाई के लिए गैस सिलेंडर कंपनी से 40 लाख रुपए तक की डिमांड कर सकते हैं। यह राशि आपकी मदद के रूप में दी जाती है।
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि यदि आप किसी कंपनी से किसी त्यौहार के मौके पर कोई गिफ्ट लेते हैं तो यह विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम 2010 के तहत रिश्वत की श्रेणी में आता है. इस जुर्म के लिए आप को सजा भी हो सकती है।
यदि आपका चालान बिना हेलमेट या किसी अन्य कारण से काट दिया जाता है तो मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2016 के तहत फिर दोबारा उसी अपराध के लिए उसी दिन आपका चालान नहीं काटा जा सकता है।
अधिकतम खुदरा मूल्य अधिनियम 2014 के तहत कोई भी दुकानदार किसी उत्पाद के लिए उस पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक रुपए नहीं मांग सकता। लेकिन उपभोक्ता अधिकतम खुदरा मूल्य से कम पर उत्पाद खरीदने के लिए दुकानदार से मोलभाव कर सकता है।
यदि आप कहीं पर जॉब करते हैं और आपका मालिक या ऑफिस आपको सैलरी नहीं देता है तो परिसीमा अधिनियम 1963 के तहत आप उसके खिलाफ 3 साल के अंदर कभी भी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। लेकिन यदि आप 3 साल के बाद रिपोर्ट दर्ज कराते हैं तो आपको कुछ भी हासिल नहीं होगा।
यदि आप सार्वजनिक जगहों पर गंदी गतिविधि करते हुए पकड़े जाते हैं तो आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत 3 महीने तक की कैद भी हो सकती है। परंतु गंदी गतिविधि की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं होने के कारण पुलिस इस कानून का दुरुपयोग भी करती है।
यदि आप हिंदू हैं और आपके पास आपका पुत्र है या पोत्र है तो हिंदू गोद लेने और रखरखाव अधिनियम 1956 के तहत आप किसी दूसरे लड़के को गोद नहीं ले सकते। साथ ही गोद लेने वाले व्यक्ति और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 21 वर्ष का अंतर भी होना चाहिए।
दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम 1958 धारा 14 के तहत यदि आप दिल्ली में रह रहे हैं तो आपका मकान मालिक आपको बिना नोटिस दिए जबरन मकान खाली नहीं करवा सकता।
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत कोई भी कंपनी किसी भी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती। यदि कोई कंपनी ऐसा करती है तो उसे अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है।
आध्यात्म
क्यों बनता है गोवर्धन पूजा में अन्नकूट, जानें इसका महत्व
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। गोवर्धन का त्योहार श्री कृष्ण की लीला को दर्शाता है।
स दिन मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है। अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का आयोजन है, जिसमें पूरा परिवार एक जगह बनाई गई रसोई से भोजन करता है। इस दिन चावल, बाजरा, कढ़ी, साबुत मूंग सभी सब्जियां एक जगह मिलाकर बनाई जाती हैं। मंदिरों में भी अन्नकूट बनाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। शाम में गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में हल जोतकर अनाज उगाता है। इस तरह गौ संपूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है।
गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की। वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इसी दिन बलि पूजा, गोवर्धन पूजा होती हैं। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है।
यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई। उस समय लोग इंद्र भगवान की पूजा करते थे व छप्पन प्रकार के भोजन बनाकर तरह-तरह के पकवान व मिठाइयों का भोग लगाया जाता था।
महाराष्ट्र में यह दिन बलि प्रतिपदा या बलि पड़वा के रूप में मनाया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बलि पर विजय और बाद में बलि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्यस्मरण किया जाता है।
माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बलि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आते हैं। अधिकतर गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नववर्ष के दिन के साथ मिल जाता है जो कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा उत्सव गुजराती नववर्ष के दिन के एक दिन पहले मनाया जा सकता है और यह प्रतिपदा तिथि के प्रारंभ होने के समय पर निर्भर करता है।
इस दिन प्रात: गाय के गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में गोवर्धन बनाया जाता है। अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है। इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है।
पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है। पूजा के बाद गोवर्धनजी की जय बोलते हुए उनकी सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य जौ लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराता हुआ तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।
अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है। यदि प्रतिपदा में द्वितीया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन संध्या के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा अपने घर में करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है।
इस दिन दस्तकार और कल-कारखानों में कार्य करने वाले कारीगर भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। इस दिन सभी कल-कारखाने तो पूर्णत: बंद रहते ही हैं, घर पर कुटीर उद्योग चलाने वाले कारीगर भी काम नहीं करते। भगवान विश्वकर्मा और मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।
गोवर्धन पूजा के संबंध में एक लोकगाथा प्रचलित है कि देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था। इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची। एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्रीकृष्ण ने मैया यशोदा से प्रश्न किया कि आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं।
कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा मैया बोली, “हम देवराज इंद्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं।”
मैया के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण बोले “मैया, हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं?”
यशोदा ने कहा कि वह वर्षा करते हैं, जिससे अन्न की पैदावार होती है। उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण बोले, “हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इंद्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं, अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।”
श्रीकृष्ण की माया से सभी ने इंद्र के बदले गोवर्धन पर्वत की पूजा की। देवराज इंद्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछड़े समेत शरण लेने के लिए बुलाया।
इंद्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गई। इंद्र का मान-मर्दन करने के लिए श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।
इंद्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे, तब उन्हें अहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतांत्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा, “आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं।”
ब्रह्मा जी के मुंख से यह सुनकर इंद्र अत्यंत लज्जित हुए और श्रीकृष्ण से कहा, “प्रभु मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें।” इसके बाद देवराज ने श्रीकृष्ण की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।”
सातवें दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा, अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
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