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उत्तर प्रदेश

नाथ नगरी इंटीग्रेटेड टाउनशिप में शापिंग कांपलेक्स के ऊपर बनाये जायेंगे फ्लैट

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बरेली।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप बरेली विकास प्राधिकरण बरेली में प्रदेश की पहली अनूठी नाथ नगरी इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने जा रहा है। बीडीए ने इसके लिये पांच गांवों की जमीन चिह्नित की है। जमीन खरीदने की तैयारी शुरू हो गई है। इंटीग्रेटेड टाउनशिप में आइटी पार्क, औद्योगिक क्षेत्र, मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल, अपार्टमेंट, शापिंग कांप्लेक्स, आउटलेट, शिक्षण संस्थान विकसित करने के लिये लेआउट और डिजाइन तैयार किया गया है। विश्वस्तरीय सौंदर्यीकरण के साथ टाउनशिप में आने जाने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों की सुविधा मिलेगी। अत्याधुनिक पार्किंग स्थल रहेगा। इंटीग्रेटेड टीओडी टाउनशिप में शापिंग कांप्लेक्स के ऊपर फ्लैट बनेंगे। इसमें ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) नीति के प्रविधानों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें तीन चार मंजिल तक नीचे शापिंग कांप्लेक्स होंगे। उसके ऊपर गगनचुंबी फ्लैट बनेंगे। बीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि इसके विकास के साथ नाथ नगरी बरेली के विकास को नये आयाम मिलेंगे। नाथ धाम इंटीग्रेटेड टाउनशिप से आवासीय विकास के साथ एमएसएमई एवं बरेली के उत्पादों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जायेगा।

जैविक सरंक्षण और पर्यावरण के अनुकूल होगा विकास

बीडीए सचिव योगेंद्र कुमार ने बताया कि यह प्राधिकरण का महात्वकांक्षी प्रोजेक्ट है। टाउनशिप के साथ बीडीए रामगंगा रिवरफ़्रंट का डेवलपमेंट भी करवाएगा। इसका विकास जैविक संरक्षण के साथ पर्यावरण के अनुकूल होगा। इसमें बायोडायवर्सिटी पार्क का भी विकास कराया जाएगा ।

मुख्य आकर्षण :
– भारत सरकार की टीओडी नीति के तहत विकास : शॉपिंग काम्प्लेक्स एवं ऊपरी तल पर फ्लैट
– ⁠ज़री ज़रदोज़ी सेंटर का विकास : फ़्लैटेड डेवलपमेंट माड्यूल के तहत
– ⁠विश्व स्तरीय स्टेडियम प्रस्तावित
– ⁠लघु उद्योग की स्थापना के लिए पर्याप्त अवसर
– ⁠गंगा एक्सप्रेसवे से 15 मिनट की दूरी पर प्रस्तावित – इससे एमएसएमई एवं ज़री ज़रदोज़ी के निर्यात में सुगमता

दुकानों और कामगारों के लिये बनेगा कॉमन सेंटर

बरेली के उत्पाद ज़री ज़रदोज़ी के कामगारों की स्किल को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शनी लगेगी। इसके साथ उत्पाद बेचने के लिए दुकान और काम करने लिए के लिए कॉमन सेंटर की व्यवस्था की जायेगी। आर्किटेक्ट सुमित अग्रवाल ने बताया कि टाउनशिप में छोटे कामगारों एवं व्यापारियों के लिए फ़्लैटेड डेवलपमेंट के रूप में छोटी पूँजी में जगह उपलब्ध होगी। जिसके नीचे एक्जिविशन एवं कन्वेंशन सेंटर होंगे। ज़री ज़रदोज़ी के उत्पादों के निर्यात को सुगम बनाने के लिए एक्सपोर्ट हाउस एवं आधुनिक होटल प्रस्तावित किये जा रहे हैं। टाउनशिप को विश्व स्तरीय मानकों पर विकसित किया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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