उत्तराखंड
कहानी लिखिए और उत्तराखंड सरकार से एक लाख रुपए ले जाइए
अगर आप चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड गए हुए हैं, तो यात्रा के साथ-साथ आपके पास एक लाख रूपए जीतने का भी सुनहरा मौका है।
Good news for all the trek enthusiasts!
Contest date to rediscover the world’s oldest pilgrimage trail has been extended till 6th July 2018
What are you waiting for? REGISTER NOW and win a cash prize upto 1 Lakh ₹ For details visit: https://t.co/NU2xXhEfv7#ChardhamContest pic.twitter.com/D6RyJwzv7g— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) June 6, 2018
उत्तराखंड पर्यटन विभाग आपके लिए एक शानदार प्रतियोगिता चारधाम हाइक नरेटिव कंपटीशन ( ChardhamContest ) शूरू की है। यह प्रतियोगिता खासतौर पर चारधाम यात्रियों के लिए शुरू की गई है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोग अपना पंजीकरण पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जाकर करवा सकते हैं।
चारधाम हाइक नरेटिव कंपटीशन-2018 का उद्देश्य है लोगों में दुनिया की सबसे पुरानी तीर्थ यात्रा (चारधाम यात्रा) को फिर से जीने और यात्रा से जुड़े अनुभवों को सबसे साझा करना है। इस प्रतियोगिता भाग ले रहे लोगों को रोचक तरीके से चारधाम यात्रा का पूरा वर्णन करना होगा। प्रतिभागी अपना आवेदन दिनांक छह जुलाई 2018 तक विभाग की वेबसाइट पर जाकर करा सकते हैं।
प्रतियोगिता में भाग ले रहे लोगों में से सबसे अच्छे पांच यात्रा वर्णन को विशेषरूप से सम्मानित किया जाएगा।
प्रथम पुरस्कार – एक लाख रुपए
दूसरा पुरस्कार – 51,000 रुपए
तीसरा पुरस्कार – 21,000 रुपए
चौथा पुरस्कार ( केवल दृष्टिबाधित लोगों के लिए) – 10,000 रुपए
पांचवां पुरस्कार ( केवल दिव्यांग लोगों के लिए ) – 10,000 रुपए
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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