ऑफ़बीट
गूगल है इस पांच वर्षीय बच्ची का दिमाग, 60 से अधिक देश की राजधानी है कंठस्थ
कटनी (मप्र)। कहते है बच्चे को अधिकतर संस्कार उसकी मां के गर्भ से ही प्राप्त होते हैं और बाकी जैसे मां-बाप के संस्कार होते हैं उसका असर उनके बच्चों पर पड़ता है कुछ ऐसा ही कारनामा मप्र के कटनी नगर में भी हुआ है। पांच वर्ष की आयु में जब बच्चे आसपास की चीजों को समझने का प्रयास करते हैं, और उन्हें विषयों की कोई विशेष समझ नहीं होती, उस उम्र में श्रीजा अग्निहोत्री नाम की बच्ची को देश ही नहीं दुनिया भर की जानकारी है।
उम्र भले ही महज पांच वर्ष हो, लेकिन उनके ज्ञान को देखकर लगता है कि वे किसी जीनियस से कम नहीं हैं। श्रीजा की प्रतिभा देखते नही बनती। इस आयु में उसे 60 से अधिक देशों की राजधानी, इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष, संस्कृत के श्लोक व मंत्र याद हैं।
श्रीजा अग्निहोत्री यह उस बच्ची का नाम है जिसने नगर में अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ने की शुरुआत कर दी है। बेशक इन्हें देख कर आप बस साधारण बच्ची समझ लेंगे लेकिन इनके कारनामों को लोहा इनके परिजन सहित आसपास के लोगों कें साथ अब कटनी नगर भी मानती है।
धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत Google के जैसा है इस बच्ची श्रीजा का दिमाग, पांच वर्ष की उम्र में 60 से अधिक देश और उनकी राजधानी, भगवान श्री रामचंद्र जी की वंशावली, राम जी की स्तुति,कबीर के दोहे लक्ष्मीबाई के दोहे, इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष श्रीजा को कंठस्थ है।
श्रीजा के बड़े भाई अविनाश दुबे, जो रेलवे विभाग में पदस्थ हैं, ने बताया कि चीजों को जानने के लिए हमेशा जिज्ञासु रहने वाली श्रीजा अपने माता-पिता से हमेशा सवाल पूछती है और वह उसके जवाब देने में जुटे रहते हैं। कई बार उसके सवाल न केवल माता-पिता बल्कि बड़े भाई अविनाश दुबे को भी हैरानी में डाल देते हैं।
भगवान श्री रामचंद्र जी की स्तुति है जुबानी याद
कटनी नगर निवासी श्रीजा वार्डसले हिंदी मीडियम स्कूल में केजी-2 की छात्रा है। उसके पिता उमाकांत अग्निहोत्री होटल संचालक है और माता लकी अग्निहोत्री साधारण गृहणी हैं, घर का पूरा महौल धार्मिक प्रवृत्ति का है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही जिज्ञासु श्रीजा अपने देश के राज्यों के शहरों के नाम फटाफट सुना देती है।
पिता ने बताया कि श्रीजा को श्रीरामचन्द्र स्तुति जुबानी याद है और वह 5 मिनट में इसे सुना देतीं है। उन्होंने बताया कि साढ़े तीन वर्ष की आयु में वह उसे लेकर मंदिर जाते थे तब वह मंदिर में होने वाले भजनों को याद कर लेती थी जो उसे कंठस्थ है।
छोटी बच्ची को याद हैं कई देशों की राजधानियां
श्रीजा को विश्व के 60 से अधिक देश के नाम और उनकी राजधानी के नाम कंठस्थ है। उसे अलग- अलग देशों के राष्ट्रपति के नाम भी याद हैं। वह संसार की सबसे छोटी और सबसे छोटी चीज के बारे में बता सकती है। कमाल की बात ये है कि छोटी लड़की सभी राजधानियों का सही नाम बताती है। बच्ची के भाई अविनाश का कहना है कि श्रीजा की याददाश्त शुरू से ही असाधारण रही है।
देश-विदेश के इतिहास और जनरल नॉलेज के बारे में ऐसे बताती है कि बड़े – बड़ों के छक्के छूट जाएं.केजी-2 क्लास में पढ़ने वाली श्रीजा पलक झपकते ही उसका जवाब दे देतीं है। उसकी इस प्रतिभा से परिवार और आस-पास के लोग हैरान है। एक इंसान की शख्सियत तराशने में बहुत से लोगों का हाथ होता है।
जैसे उसके जीन, माता पिता, परिवार के दूसरे लोग, स्कूल, दोस्त उसके आस पास के लोग। इसके अलावा और भी बहुत से कारण होते हैं जो किसी इंसान का किरदार तय करते हैं जिससे आगे चलकर श्रीजा अग्निहोत्री एक खास बच्चे की शख्सियत का हिस्सा बन गई।
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उत्तर प्रदेश
संभल में 46 साल बाद खुले मंदिर के कुएं से निकली माता पार्वती की खंडित मूर्ति
संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चला रहे प्रशासन को बीते दिनों करीब 46 साल से बंद पड़ा मंदिर मिला था। यह मंदिर उसी इलाके में है, जहां हिंसा हुई थी और लंबे समय से बंद था। इस हिंदू मंदिर में पहले महादेव की मूर्ति निकली।
उसके बाद मंदिर के प्रांगण में स्थित कुएं की खुदाई की गई। इसके बाद इस मंदिर से मां पार्वती की खंडित प्रतिमा बरामद की गई है। फिलहाल पुलिस ने इस प्रतिमा को अपने कब्जे में ले लिया है और जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। हालातों को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है।
बता दें कि संभल के नखासा थाना इलाके के मोहल्ला ख़ग्गू सराय में स्थित शिव मंदिर के कपाट खुलने के बाद खुद पुलिसकर्मियों ने मूर्तियों की सफाई की थी। इस दौरान हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा आसमान गूंज उठा था। 46 साल बाद खुले मंदिर में पूजा शुरू कर दी गई है। आज भी बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक करने पहुंचे थे।
ये शिव मंदिर सपा सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस शिव मंदिर पर प्राचीन महादेव मंदिर लिख दिया गया है और मंदिर परिसर में मिले कुएं की खुदाई भी की जा रही है।
बताया जा रहा है कि प्रशासन अब इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराएगा. इसके लिए जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक पत्र लिखा है. इस जांच के जरिए प्रशासन इस बात की जानकारी प्राप्त करेगा कि ये मंदिर और इसकी मूर्ति कितनी पुरानी हैं.
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