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उत्तर प्रदेश

लोक कल्याण के लिए गोरक्षपीठ ने कभी भी परंपरा की फिक्र नहीं की

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गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के लिए सदा से लोककल्याण सर्वोपरि रही है। जब भी लोक कल्याण एवं सामाजिक समरसता के आगे परंपरा आयी पीठ ने उसे तोड़ने में तनिक भी हिचक नहीं दिखाई।

नवरात्र और पीठ की परंपरा

उल्लेखनीय है कि गोरक्षपीठ, के लिए साल के दोनों (चैत्र एवं शारदीय) नवरात्र बेहद खास होते हैं। पहले दिन से ही वहां अनुष्ठान शुरू हो जाता है। पूजा ए
और 10 दिन चलने वाले अनुष्ठान की सारी व्यवस्था मठ के पहली मंजिल पर स्थापित शक्तिपीठ पर ही होती है। परंपरा रही है कि पहले दिन कलश स्थापना के बाद नवरात्रि तक पीठ के पीठाधीश्वर और उनके उत्तराधिकारी मठ से नीचे नहीं उतरते। पूजा के बाद रूटीन के काम और खास मुलाकातें ऊपर ही होती थीं
ट्रेन हादसे के बाद लोगों की मदद के लिए योगी ने तोड़ी थी पीठ की परंपरा

सितंबर 2014 में फर्ज के आगे वर्षों से स्थापित यह परंपरा भी टूट गई थी।

दरसल गोरखपुर कैंट स्टेशन के पास नन्दानगर रेलवे क्रासिंग पर लखनऊ-बरौनी और मंडुआडीह-लखनऊ एक्सप्रेस की टक्कर हुई थी। रात हो रही थी। गुलाबी ठंड भी पड़ने लगी थी। हादसे की जगह से रेलवे और बस स्टेशन करीब 5-6 किमी की दूरी पर हैं। दो ट्रेनों के हजारों यात्री। रात का समय साधन उतने थे नहीं। यात्रियों को मय सामान और परिवार के साथ स्टेशन तक पहुँचना मुश्किल था। खास कर जिनके साथ छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग थे। चर्चा होने लगी कि छोटे महाराज (पूर्वांचल में लोग प्रेम से लोग योगी जी को इसी नाम से पुकारते हैं) आ जाते तो इस समस्या का हल निकल आता। हादसे की सूचना थी ही। लोगों के जरिए समस्या वह से भी वाकिफ हुए। उसकी गंभीरता को समझा। फिर क्या था? वह मठ से उतरे और लोगों की मदद के लिए दुर्घटना स्थल पर आए। साथ मे उनके खुद के संसाधन और समर्थक भी। उनके आने पर प्रशासन भी सक्रिय हुआ। देर रात तक सबको सुरक्षित स्टेशन पहुंचा दिया गया।
मुख्यमंत्री बनने के बाद बार नोएडा जाकर भी उन्होंने यही संदेश दिया

मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के मुखिया के रूप में भी वह स्थापित मिथ को तोड़ने के लिए नोएडा गये। मान्यता थी कि बतौर मुख्यमंत्री जो भी नोएडा गया वह फिर से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बना। योगी न केवल पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे बल्कि लगातार दूसरी बार शानदार तरीके से सत्ता में वापसी का भी रिकॉर्ड भी रच दिया।

जिस अयोध्या का नेता नाम नहीं लेते थे वहां भी बार-बार गये

यही नहीं जिस अयोध्या के नाम से लोगों को करंट लगता था वहां बार-बार जाकर उन्होंने साबित किया कि पहले की तरह वह अयोध्या के हैं और अयोध्या उनकी। और अब तो उनके ही कार्यकाल में उनके गुरु के सपनों के अनुसार अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है बल्कि विभिन्न परियोजनाओं के जरिए अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है। आने वाले वर्षों में अयोध्या का शुमार धार्मिक लिहाज से दुनियां के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में होगा।

*काशी में डोम राजा के घर भोजन कर योगी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ
ने भी तोड़ी थी परंपरा*

समाज में फैली ऊंच नीच और अछूत के खिलाफ संदेश देने के लिए ही योगी जी के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने समाज के विरोध के बावजूद वर्षों पहले काशी में संतों के साथ डोमराजा के घर सहभोज किया था। वह भी तब जब समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव था। कुछ जतियों के यहां भोजन तो दूर लोग उनका छुआ हुआ कुछ भी नहीं ग्रहण करते थे।

कुछ और उदाहरण

पटना (बिहार) के महावीर मंदिर में पहली बार दलित समाज के एक पुजारी की नियुक्ति, रामजन्म भूमि के शिला पूजन के दौरान एक दलित से पहली शिला रखवाना भी इसीकी कड़ी थी।
सहभोज के जरिए व्यापक हिंदू समाज को जोड़ने के इस सिलसिले को योगी आदित्यनाथ ने पीठ के उत्तराधिकारी, पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री के रूप में भी जारी रखा है।

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उत्तर प्रदेश

राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार

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प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।

मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।

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