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उत्तराखंड

सद्भावना अभियान के तहत लद्दाख से आये विद्यार्थी राज्यपाल से मिले

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जम्मू-कश्मीर के युवाओं, भारतीय सेना, नेशनल इंटीग्रेशन टूर योजना, सद्भावना अभियान, राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल

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जम्मू-कश्मीर के युवाओं, भारतीय सेना, नेशनल इंटीग्रेशन टूर योजना, सद्भावना अभियान, राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल

Governor with J&K Students

देहरादून। जम्मू-कश्मीर के युवाओं को देश की मुख्य धारा से जोड़ने तथा उनमें राष्ट्रीय एकता, अखण्डता की भावना का संचार करने के उद्देश्य से भारतीय सेना द्वारा ‘नेशनल इंटीग्रेशन टूर’ (एन.आई.टी) योजना के तहत संचालित सद्भावना अभियान में जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के विभिन्न शासकीय  स्कूलों के 20 छात्र-छात्राओं का एक अध्ययन दल आज राजभवन, देहरादून पहुँचा जिसमें 09 छात्राएं तथा 11 छात्र शामिल थे।

आज प्रातः राजभवन पहुँचे सद्भावना अभियान के इन सभी युवा विद्यार्थियों से राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने मुलाकात की और पढ़ाई, खेल तथा अन्य क्षेत्रों में उनकी अभिरुचियों के संदर्भ में उनसे अनौपचारिक संवाद स्थापित किया।

राज्यपाल ने प्रत्येक बच्चे से हाथ मिलाया और उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनकी झिझक दूर करने की कोशिश की।

लद्दाख से प्रथम बार देश के भ्रमण पर निकले इन छात्र-छात्राओं से वार्ता के दौरान राज्यपाल ने उन्हें लद्दाख के अनेक रमणीक स्थलों के विषय में जानकारी देते हुए लद्दाख के विभिन्न दर्शनीय स्थलों को देखने की सलाह भी दी।

बच्चों से बातचीत के दौरान राज्यपाल ने भारत की सांस्कृतिक विविधता में निहित राष्ट्रीय एकता पर भी प्रकाश डालकर उनमें भ्रमण द्वारा सीखने की प्रवृत्ति जागृत करने का प्रयास भी किया।

देवभूमि उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा संास्कृतिक विशिष्टताओं के विषय में बताते हुए राज्यपाल ने उन्हें पुनः उत्तराखण्ड आगमन का आमंत्रण दिया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

भारतीय सेना के ‘‘90 फील्ड रेजीमेंट/8 माउंटेन डिवीजन आॅफ नादर्न कमांड’ के मेजर प्रवीन कुमार पारेख के नेतृत्व में आये इस दल के साथ चार शिक्षक (2 महिला, 2 पुरुष ) व दो सैन्य कर्मी शामिल थे।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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