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उत्तराखंड

अविश्वास प्रस्तावः कुंजवाल बोले सत्र में सामना करने को हूं तैयार

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अविश्वास प्रस्ताव, सत्र का सामना करने को तैयार, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल

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अविश्वास प्रस्ताव, सत्र का सामना करने को तैयार, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल

Govind Singh Kunjwal

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने कहा कि आगामी 21 जुलाई को होने वाले दो दिवसीय विधानसभा सत्र में वे स्वयं पर लगे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं।

उल्लेखनीय है कि विगत 18 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया गया था। भाजपा ने आरोप लगाया था कि कुंजवाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए विधानसभा में अहम पदों पर अपने चहेतों को नियुक्त किया है।

आज यहां सम्पन्न हुई सर्वदलीय बैठक में कुंजवाल ने कहा कि विधानसभा में खाली पदों पर उपनल के जरिए भर्ती हुई है। उन्होंने विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली के अनुरूप ही आचरण किया है।

सर्वदलीय बैठक में भाजपा के अजय भट्ट को छोड़कर सभी उपस्थित थे। सभी से अनुरोध किया गया कि वे सदन की कार्यवाही में सहयोग करें।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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