उत्तर प्रदेश
पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अब अपनी आय बढ़ने पर भी काम कर रही ग्राम पंचायतें
वाराणसी| डबल इंजन सरकार के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायतें पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अब अपनी आय बढ़ने पर भी काम कर रही है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत वाराणसी के गांवों को प्लास्टिक मुक्त किया जा रहा है। इसके लिए वाराणसी के तीन विकासखंड में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का संचालन जल्द शुरू होने वाला है। गॉव से एकत्र किये गए प्लास्टिक से प्लास्टिक पिलेट्स बनाया जाएगा, जिसे प्लास्टिक री-साइकिल करने वाली कंपनी को बेचा जायेगा। गांव से निकलने वाले प्लास्टिक से सड़कों के निर्माण की भी योजना है। पीडब्लूएमयू (प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट) के जरिये कार्बन क्रेडिट से भी ग्राम पंचायत की आय होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए थ्री आर मेथड पर कार्य किया जा रहा है। इसमें रिड्यूज,रीयूज,रिसाईकल मेथड को फॉलो कर पर्यावरण संरक्षण का काम हो रहा है। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा इस्तेमाल करने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाएगा। इसके लिए गांव में सार्वजनिक स्थलों पर बोरे टांगे गए है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर 100 बोरे लगे हैं। ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है कि प्रयोग की गई प्लास्टिक को इस बोरे में ही डाला जाए। फिर इस प्लास्टिक को तीन विकासखंड पिंडरा ब्लाक के नोहिया, सेवापुरी ब्लाक के भीषमपुर और चिरईगांव के बर्थराकला गांव में लगे पीडब्लूएमयू में ले जाकर रिसाइकल करके प्लास्टिक पिलेट्स बनाया जायेगा। कानपुर की एक कंपनी से इसे उचित दामों पर खरीदने की बात चल रही है। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों से एमओयू भी किया गया है। इसे बेचने से ग्राम पंचायतों की आय भी बढ़ेगी। इसके अलावा चिरईगांव मे लगे पीडब्लूएमयू से निकले प्लास्टिक को पीडब्ल्यूडी, आरईएस और जिला पंचायत की सड़क बनाने के लिए बेचा जायेगा। इससे सड़कों की गुणवत्ता में भी सुधार आयेगा।
एडीपीआरओ राकेश यादव ने बताया कि गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए “ओन रिसोर्स रेवेन्यू मॉडल” पर काम हो रहा है। ग्राम पंचायत से कंपनी दो से तीन रुपये में प्लास्टिक पिलेट्स खरीदेगी। कार्बन क्रेडिट से भी ग्राम पंचायतों को आमदनी होगी। एक ब्लॉक से लगभग एक टन हर महीने प्लास्टिक निकलने की संभावना है, जिसे कंपनी रीसाइकल करेगी। एक यूनिट से स्वयं सहायता समूह की लगभग पांच से 10 महिलाओं और मशीन संचालन के लिए अन्य लोगों को रोजगार मिलेगा।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ को फायर फ्री जोन बनाने की योजना
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को श्रद्धालुओं के लिए हर तरह से सुरक्षित किए जाने को लेकर योगी सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं। महाकुंभ के दौरान आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए मैनपावर और स्पेशल फायर व्हीकल्स की संख्या में भारी वृद्धि की गई है। वहीं, अत्याधुनिक डिवाइसेज को भी तैनात किए जाने की योजना है। प्रत्येक सेक्टर में दमकल कर्मियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। आग की घटनाओं की मॉनीटरिंग के लिए एआई से लैस फायर डिटेक्शन कैमरों को इंस्टॉल किया गया है। वहीं, रिस्पॉन्स टाइम को भी महज 2 मिनट का रखा गया है, ताकि किसी तरह की घटना पर मिनटों में काबू पाया जा सके। सरकार का पूरा प्रयास यही है कि इस बार का महाकुंभ पूरी तरह जीरो फायर इंसिडेंट के रूप में संपन्न हो और अग्निशमन विभाग की ओर से इसी दिशा में काम किया जा रहा है।
अखाड़ों में भी लगेंगे 5 हजार एक्सटींगुशर
प्रयागराज के मुख्य अग्निशमन अधिकारी और महाकुंभ के नोडल अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि इस बार महाकुंभ को जीरो फायर इंसिडेंट बनाने का पूरा प्रयास होगा। इसके लिए व्यापक तैयारी की गई है। इसके लिए एडवांस रेस्क्यू टेंडर तैनात किए जा रहे हैं। 200 स्पेशल ट्रेन्ड रेस्क्यू ग्रुप को तैनात किया जा रहा है। वहीं, अखाड़ों में आग की घटनाओं को काबू करने के लिए 5000 स्पेशल फायर एक्स्टींगुशर प्रदान किए जा रहे हैं। यही नहीं, मेले में बड़ी संख्या में एआई लाइसेंस वाले फायर डिटेक्शन कैमरों को भी इंस्टॉल किया जा रहा है। ये कैमरे भी पहली बार उपयोग में लाए जा रहे हैं जो आग की घटनाओं पर नजर रखेंगे और यदि कहीं इस तरह की घटना होती है तो तत्काल कंट्रोल रूम के माध्यम से चंद सेकेंड्स में फायर स्टेशन को सूचना मिल सकेगी। सूचना मिलते ही दो मिनट के अंदर दमकल की गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचेंगी और आग पर काबू पाने का प्रयास करेंगी।
हर सेक्टर में तैनात होंगे दमकलकर्मी
उन्होंने बताया कि 2019 कुंभ की तुलना में इस बार अधिक मैनपावर और अधिक व्हीकल्स को डेप्लॉय किया जा रहा है। 2019 में जहां 43 टेंपरेरी फायर स्टेशन बनाए गए थे, वहीं 2025 महाकुंभ में 50 टेंपरेरी फायर स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इसी तरह 2019 के 15 टेंपरेरी फायर पोस्ट की जगह इस बार 20 टेंपरेरी फायर पोस्ट बनाई जा रही हैं। 43 फायर वॉच टॉवर की तुलना में इस बार 50 फायर वॉच टॉवर होंगे, जबकि 4200 की जगह 7000 से अधिक फायर हाइड्रेंट्स लगाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त 75 की जगह इस बार 150 से ज्यादा फायर रिजर्व वाटर टैंक्स को उपयोग किया जाएगा। मैनपावर की बात करें तो 2019 में 1551 कर्मियों को यहां डेप्लॉय किया गया था, जबकि इस बार यह संख्या बढ़कर 2071 कर दी गई है। इसी तरह 2019 में कुल 166 व्हीकल्स का डेप्लॉयमेंट था तो इस बार यह संख्या लगभग दोगुनी बढ़कर 351 हो गई है।
अत्याधुनिक उपकरणों का होगा उपयोग
2013 में कुल 612 फायर इंसिडेंट हुए थे, जहां 6 लोगों की जान गई थी और 15 बर्न इंजरीज हुई थीं तो वहीं 2019 में योगी सरकार ने कुंभ के दौरान चाक चौबंद प्रबंध किए जिससे पूरे कुंभ के दौरान 55 फायर इंसिडेंट्स के बावजूद न ही कोई बर्न इंजरी हुई और न ही किसी की जान गई। इससे भी आगे बढ़कर 2025 महाकुंभ में योगी सरकार अधिक मैनपावर, अधिक गाड़ियां और अधिक सतर्कता बरतते हुए फायर इंसिडेंट्स की संख्या को भी जीरो करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए अत्याधुनिक डिवाइसेज इस्तेमाल किए जा रहे हैं। कई ऐसे डिवाइसेज भी हैं जो पहली बार यहां उपयोग में लाए जाएंगे। इसके साथ ही, महाकुंभ में तैनात सभी दमकल कर्मियों की स्पेशल ट्रेनिंग भी कराई गई है। सभी कोर ग्रुप्स के प्रैक्टिकल सेशन की भी व्यवस्था की गई है। एक्सटर्नल आडिट के लिए उत्तराखंड फायर एंड इमरजेंसी सर्विस के साथ एमओयू किया गया है। वहीं नेशनल फायर सर्विस कॉलेज नागपुर के साथ भी एमओयू किया गया है।
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