उत्तराखंड
गुप्तकाशी बाजार में भरा मलबा, 15 दुकानों का सामान बर्बाद
रौड़ू गदेरे का मुहाना हुआ बंद, दहशत में रहे गुप्तकाशी बाजार के लोग
रुद्रप्रयाग/गुप्तकाशी। शुक्रवार रात भारी बारिश के कारण गुप्तकाशी बाजार में मलबा आ जाने से ड़ेढ़ दर्जन से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का सामान बर्वाद हो गया है। बाजार के बीचों बीच बह रहे रौड़ू गदेरे में भारी मात्रा में मलबा आ जाने से विकराल स्थिति उत्पन्न हो गयी। रौड़ू गदेरे का मुहाना बंद होने से पानी मलबे को बहाते हुये बाजार भर में फैल गया।
शुक्रवार देर शाम को केदारघाटी में भारी बरसात के कारण बाजार के बीचों बीच बह रहे रोडू गदेरे के मुहाने पर मलबा तथा कचरा फंस गया, जिस कारण बरसाती पानी भारी मलबे के साथ बाजार भर में फैल गया। इससे डेढ दर्जन से अधिक दुकानों में मलबा भर गया। इस विकराल स्थिति को देखते हुये स्थानीय लोग तथा तीर्थयात्री रात भर सो नहीं पाये। स्थानीय लोगों ने अपने संसाधनों से मलबे को हटाना शुरू कर दिया है।
दरअसल, बाजार के बीचों बीच बहने वाले गदेरे में स्थानीय लोगों द्वारा कई वर्षों से खुलेआम कचरा तथा आवासीय भवनों की खुदाई का मलबा गिराया जाता रहा है, जिस कारण बरसाती सीजन में अधिक मलबे तथा कचरे के कारण गदेरे का मुहाना बंद हो जाता है। इसी तरह वर्ष 2011 में भी हुआ था।
पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष प्रेमसिंह नेगी ने बताया कि एनएच विभाग ने जो जल निकासी नाली निर्मित की है, कई लोगों द्वारा अतिक्रमण के कारण नाली चोक हो गई, जिस कारण यह पानी तथा मलबा बाजार भर में फैला है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी जिला पंचायत को इस गदेरे के कचरे को साफ करके इस कूडे के निस्तारण के लिये भी अवगत कराया गया है, लेकिन जिला पंचायत द्वारा भी इसके लिये कोई पहल नहीं की गयी। उन्होने कहा कि यदि जिला पंचायत गुप्तकाशी के एकत्रित कूड़े कचरे के निस्तारण के लिये शीघ्र कोई पहल नहीं करती है तो क्षेत्रीय जनता को आंदोलन के लिये बाध्य होना पड़ेगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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