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उत्तराखंड

बागी विधायक: न घर के रहे न घाट के

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कांग्रेस के बागी विधायक, न घर के रहे न घाट के, भाजपा की कमजोर रणनीति

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कांग्रेस के बागी विधायक, न घर के रहे न घाट के, भाजपा की कमजोर रणनीति

harak singh rawat vijay bahuguna

देहरादून। कांग्रेस के बागी विधायकों की पिछले डेढ़ माह से चल रही कवायद को जोर का झटका लगा है। एक ओर जहां कोर्ट से उन्हें वोटिंग करने का अधिकार नहीं मिला तो दूसरी ओर रावत ने सदन में बहुमत साबित कर दिया। अब बागी कांग्रेसी क्या करेंगे, इस बात को राजनीतिक कयासबाजी शुरू हो गयी है। जोड़-तोड़ की राजनीति में एक बार फिर भाजपा कांग्रेस की तुलना में फिसड्डी साबित हुए हैं। भाजपा की कमजोर रणनीति से अब बागियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। भले ही बागी अपना अलग दल बनाएं, लेकिन उनकी फजीहत तो हो ही गई है।

भाजपा  भी झाड़ लेगी पल्ला

फ्लोर टेस्ट में औंधे मुंह गिरी भाजपा अब कांग्रेस के बागी विधायकों से पल्ला छुड़ा लेगी। सूत्रों के अनुसार भाजपा अब किसी भी तरह से बागी विधायकों को अपने पल्लू से बांधने की फिराक में नहीं है। हालांकि हरक सिंह रावत पहले भी भाजपाई रहे हैं लेकिन भाजपा चाहती है कि बागियों की सिरदर्दी न लें। भाजपा ने पहले भी स्पष्ट किया कि बागियों को भाजपा ने नहीं, बल्कि कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत ने असंतुष्ट किया था। भाजपा ने तो केवल उनका समर्थन किया था।

…तो अलग दल बनाएंगे बागी

बागी विधायकों ने इस बात का संकेत दे दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान वह नई पार्टी का गठन कर सकते हैं।बागी नौ विधायकों में से कई मंगलवार को सचिवालय में चहलकदमी नजर आए। इस मौके पर पूर्व विधायक सुबोध उनियाल ने कहा कि अब गाड़ी बहुत आगे निकल चुकी है। प्रकरण के पटाक्षेप होने के बावजूद कांग्रेस में वापसी का सवाल ही नहीं उठता है। भाजपा के टिकट पर, बतौर निर्दलीय प्रत्याशी या फिर नई राजनीतिक पार्टी के बैनर तले चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। सुबोध उनियाल ने कहा कि भावी राजनीति को लेकर तमाम विकल्पों पर मंथन जारी है। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी बागी विधायकों को समर्थन नहीं देगी और न ही उनको पार्टी में शामिल करेगी। यह बात अलग है कि यदि पार्टी हाईकमान ने कुछ निर्देश दिये तो उन्हें मानना ही होगा। केदारनाथ की पूर्व विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि भविष्य की राजनीति को लेकर तमाम विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। जिसमें नई राजनीतिक पार्टी का गठन करना भी शामिल है।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

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